जींद, 16 नवंबर (Udaipur Kiran) । भारत सिनेमा रोड स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में शनिवार को प्रथम पातशाही गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव की खुशी में धार्मिक दीवान सजाया गया। डिप्टी स्पीकरण डा. कृष्ण मिड्ढा के प्रतिनिधि राजन चिल्लाना ने कार्यक्रम में शिरकत की। जिन्हें प्रबंधक कमेटी द्वारा स्मृति चिन्ह दिया गया।
गुरुघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने बताया कि प्रकाशोत्सव की खुशी में सबसे पहले सुखमनी सेवा सोसायटी द्वारा सुखमनी साहिब का जाप किया गया।
गुरुद्वारा साहिब के हैडग्रंथी ज्ञानी सतबीर सिंह ने अपने प्रवचनों में बताया कि गुरुनानक देव जी के जीवन के तीन सिद्धांत थे, किरत करो यानि मेहनत की कमाई करो। नाम जपो कि ईश्वर की आराधना करो। वंड छको यानि मिल बांट कर खाओ। गुरु नानक देव जी का मानना था कि इन सिद्धांतों की पालना करने वाला कोई भी इंसान अपना लोक-परलोक सफल कर सकता है। इसके बाद गुरुद्वारा साहिब के रागी भाई गुरदित्त सिंह के रागी जत्थे ने गुरु की महिमा के शब्दों का गायन करके संगतों का मन मोह लिया। उन्होंने अपनी वाणी के माध्यम से बताया कि गुरु नानक देव जी कहते हैं कि हर मनुष्य को सबसे पहले खुद की बुराइयों और गलत आदतों पर विजय पाने की कोशिश करनी चाहिए। धन को कभी भी अपने हृदय से लगा कर नहीं रखना चाहिए, उसका स्थान हमेशा जेब में ही होना चाहिए। तभी आप लालच और अहंकार से दूर रह पाएंगे। महिलाओं का अनादर नहीं करना चाहिए। स्त्री और पुरुष दोनों को ही बराबर मानना चाहिए। जीवन में सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करने वाले जातक को कभी भी भय नहीं रहता है, क्योंकि भक्ति करने से मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।
गुरूघर प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने कहा कि गुरू नानक देव जी ने अपनी वाणी में हरि बिनु तेरो को न सहाई। काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई। धनु धरनी अरु संपत्ति सगरी जो मानिओ अपनाई। तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई। दीन दयाल सदा दुख-भंजन, ता सिउ रुचि न बढाई। नानक कहत जगत सभ मिथिआए ज्यों सुपना रैनाई। इस संसार में कुछ भी अचल नहीं है। इसलिए चिंता को खत्म कर भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए। संसार जीतने से पहले अपने विचारों पर विजय पाना जरूरी है। धार्मिक दीवान की समाप्ति पर गुरु का अटूट लंगर भी संगतों में बरताया गया।
(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा