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मेसर्स किट प्लाई इंडस्ट्रीज को राहत

Allahabad High court

– चेक अनादर मामले में बिना पक्षकार बनाये जारी समन आदेश रद्द

– ट्रायल कोर्ट को कंपनी को पक्षकार बनाने की अर्जी तय करने का निर्देश

प्रयागराज, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेसर्स किट प्लाई इंडस्ट्रीज के खिलाफ चेक अनादर केस में जारी समन आदेश रद्द कर बड़ी राहत दी है।

कोर्ट ने कहा कि कम्प्लेंट कम्पनी के एमडी गौरव गोयनका, सचिव शबनम जमाल और मैनेजर कार्मिक देवेन्द्र सिंह एवं जीएम प्लांट सुरेश चंद्र वरनावत के खिलाफ दाखिल की गई है। मुख्य अभियुक्त कम्पनी को अभियुक्त नहीं बनाया गया है। शिकायतकर्ता ने कम्पनी को पक्षकार बनाने की अर्जी ट्रायल कोर्ट में दी है। जिस पर कम्पनी के चेयरमैन पीके गोयनका ने आपत्ति दाखिल की है। यह अर्जी अभी तय नहीं की गई है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट द्वारा कम्पनी को सम्मन जारी करना सही नहीं है।

कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को नियमानुसार कम्पनी को पक्षकार बनाने की लम्बित अर्जी दो माह में तय करने का निर्देश दिया है और कहा है कि नये सिरे से आदेश जारी किया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने मेसर्स किट प्लाई इंडस्ट्रीज की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

मालूम हो कि पार्श्वनाथ बुड प्रोडक्स रामपुर ने कम्पनी को किट प्लाई आपूर्ति की। कम्पनी ने पांच लाख रुपये का चेक जारी किया। कम्पनी के खाते में बैलेंस न होने के कारण चेक का अनादर हो गया तो परक्राम्य विलेख एक्ट की धारा 138 में कम्प्लेंट दायर की गई। सीजेएम रामपुर ने 13 अगस्त 12 को कम्पनी के अधिकारियों को सम्मन जारी किया। जिसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी सुप्रीम कोर्ट के अनीता हांडा केस के आधार पर स्वीकार करते हुए कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का सम्मन रद्द कर नये सिरे से आदेश जारी करने का निर्देश दिया।

पुनरीक्षण अर्जी पर तर्क दिया गया कि मुख्य अभियुक्त कम्पनी पक्षकार नहीं है। इसलिए अधिकारियों के खिलाफ केस नहीं चल सकता। इसके बाद शिकायत कर्ता ने कम्पनी को पक्षकार बनाने की ट्रायल कोर्ट में अर्जी दी, जो लम्बित है।

याचिका की पोषणीयता पर भी आपत्ति की गई कि प्रस्तावित अभियुक्त कम्पनी को याचिका दायर करने का विधिक अधिकार नहीं है। सम्मन स्तर पर उसे सुने जाने का अधिकार नहीं है। केस ट्रायल कोर्ट को रिमांड किया जा चुका है। इसके विरोध में कहा गया कि मुख्य अभियुक्त कम्पनी है। उसी ने चेक जारी किया था। अधिकारियों पर केस नहीं चल सकता। कोर्ट ने कहा कि कम्पनी को पक्षकार बनाने की अर्जी दाखिल करना ग़लत नहीं है। पक्षकार बनाने की अर्जी लम्बित है इसलिए कम्पनी को समन जारी करना सही नहीं है।

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / पवन कुमार श्रीवास्तव

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