नई दिल्ली, 31 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने फिक्स डोज कांबिनेशन (एफडीसी) की दवाइयां बनाने वाली कंपनियों को राहत दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार के 02 अगस्त के आदेश के बाद फिलहाल दवा कंपनियों और स्टॉकिस्ट के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
हाई कोर्ट में छह दवा कंपनियों ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है। जिन दवा कंपनियों ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है उनमें मैनकाइंड फार्मा, इंडोको रिमेडीज, लीफोर्ड हेल्थकेयर, ऑबसर्ग बायोटेक, नेविल लेबोरेटरीज और विल्को लेबोरेटरीज शामिल हैं। इन दवा कंपनियों ने 02 अगस्त के केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमें 156 एफडीसी दवाइयों पर रोक लगा दिया गया है। केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इन दवाइयों के इस्तेमाल से शरीर पर बुरा असर पड़ रहा है।
सुनवाई के दौरान दवा कंपनियों की ओर से पेश वकीलों जवाहर लाल, अर्चना सहदेवा और उदित चौहान ने हाई कोर्ट के 28 जून 2023 के उस आदेश का जिक्र किया जिसमें 14 एफडीसी दवाईयों पर रोक के आदेश पर दवा कंपनियों को राहत मिली थी। 28 जून 2023 के आदेश में दवा कंपनियों और उनके डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के खिलाफ किसी भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि उस आदेश में रोक लगाई जा चुकी किसी भी एफडीसी दवाइयों के उत्पादन पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया गया था। हाई कोर्ट ने कहा कि 28 जून 2023 का आदेश केंद्र सरकार के 2 अगस्त के आदेश पर भी लागू होगा।
हाई कोर्ट ने दवा कंपनियों को हलफनामा दाखिल कर एफडीसी दवाइयों के स्टॉक की जानकारी तीन दिनों के अंदर दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके अलावा हलफनामा में दवा कंपनियों को स्टॉक के सर्कुलेशन की भी जानकारी देनी होगी। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा