नैनीताल, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक अन्तरिम आदेश जारी कर देहरादून के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में संविदा पर कार्यरत अध्यापकों को राहत दी है। कोर्ट ने संविदा पर कार्यरत इस विद्यालय के पीजीटी व टीजीटी अध्यापकों को पद पर बने रहने व सीधी भर्ती से चयनित अध्यापकों को अन्य आवासीय विद्यालयों में पद स्थापित करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देवेश पंवार, सचिन चमोली व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे कई वर्षों से एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, कालसी में पीजीटी व टीजीटी अध्यापक के पदों पर कार्यरत हैं। उनकी नियुक्ति नियमित चयन प्रकिया के तहत संविदा पर हुई थी। वर्ष 2023 में राष्ट्रीय आदिवासी छात्र समिति नई दिल्ली ने याचीगणों के पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए नई प्रक्रिया प्रारम्भ की, जिसे याचीगण ने याचिका दायर कर चुनौती दी। कमिश्नर राष्ट्रीय आदिवासी छात्र समिति ने हाई काेर्ट में एक शपथपत्र दाखिल कर कहा कि याचीगण के पदों पर नियमित नियुक्ति नहीं की जाएगी। याचिका मेें कहा गया कि इस शपथपत्र के बावजूद राष्ट्रीय आदिवासी छात्र समिति की ओर से याचीगणों के धारित पदों पर नियमित नियुक्ति कर दी और एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय समिति को निर्देशित किया कि याचीगण के पदों पर नियमित नियुक्त अध्यापकों को पदस्थापित किया जाए।
इसके बाद एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय समिति देहरादून के निर्देश पर याचीगण को 30 मई 2024 के आदेश से सेवामुक्त कर दिया गया। इसके खिलाफ हाई काेर्ट में चुनौती दी गई। 23 अक्टूबर 2024 को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने संविदा पर कार्यरत अध्यापकों को याचिकाओं के निस्तारण तक अपने पद पर कार्यरत रहने का आदेश पारित किया था। 12 नवंबर को याचिकाओं पर पुनः सुनवाई के बाद पूर्व आदेश को संशोधित करते हुए सीधी भर्ती से चयनित अध्यापकों को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, कालसी, देहरादून से अन्यत्र उत्तराखण्ड के अन्य एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में पद स्थापित करने का आदेश पारित किया था।
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(Udaipur Kiran) / लता