Bihar

नियमित खराऊं धारण करने से आंखों की रोशनी में तत्काल लाभ होता है : योग गुरु सेवक प्रभाकर

खड़ाऊं यात्रा

सहरसा, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) ।

जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड अंतर्गत साधना स्थल खजुरी से प्रत्येक पूर्णिमा को नियमित चलने वाले चरण पादुका यात्रा का आयोजन आचार्य प्रभाकर द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि खड़ाऊ धारण से शारीरिक आध्यात्मिक दोनों लाभ होता है ।लकड़ी के खरांऊ को शुद्ध माना जाता है। सनातन धर्म में होने वाले यज्ञ अनुष्ठान में भक्तजन श्रद्धा भाव से पादुका चढाते हैं।नियमित खराऊं धारण करने से आंखों की रोशनी में तत्काल लाभ होता है स्मरण शक्ति बढ़ती है। आलस दूर होता है जोड़ो का दर्द उठने बैठने के साथ हीं अनेकानेक लाभ है।

32 किलोमीटर पांव पैदल खड़ाऊ धारण कर साधना स्थल खजुरी से मुख्य मार्ग होते हुए चैनपुर पररी बनगांव चौक वासुदेबा, रहुवा, सिहौल, बिहरा पंचगछिया ,बेला तुनियाही, पुरूषोत्तम पुर पूरिख मनोहरा होते हुए लक्ष्मीनाथ गोसांई कुटी बैकुंठ धाम परसरमा पर पहुंचती है।

प्रभाकर ने बताया कि चरण पादुका यात्रा जो की छह महीने से लगातार चल रही है। इससे पहले कोरोना वायरस के समय एक साल दोनो एकादशी को चरण पादुका यात्रा निकाली गई थी,नौ साल से नरक निवारण चतुर्दशी को भी चरण पादुका यात्रा निकाली जाती है। साधक के कांवर में खरांऊ रहता है जो लक्ष्मीनाथ गोसांई जी को चढ़ाया जाता है। योग गुरु सेवक प्रभाकर ने कहा हम लगभग चालीस बार आऐ हैं गोसांई जी को कांवर चढाने, इतना आनंद का अनुभव कभी नहीं हुआ, और ना हीं इतना तकलीफ कभी हुआ। कड़ी धूप लू चलना उपर से हवा शांत होते हीं हमें आक्सीजन की कमी होने लगता था। 16 किलोमीटर बहुत कठिनाई भी हुआ यात्रा में।

आराध्य गुरु शिवजी अनाथों के नाथ लक्ष्मीनाथ गोसांई जी के कृपा से हीं पहुंच पाए। रास्ते में पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का लगातार जप, कवि विद्यापति,

लक्ष्मीनाथ गोसांई जी, ब्रह्मलीन मधुकर बाबा प्रेमी जी का भजन गाते हुए गुनगुनाते हुए कठिन सफर तय कर पाए। चलैत चटचट लागल पियास, रौदक मारल होय ने साहस।सुखि गेलय आहो बाबा, बेलके पतिया,कहिया देखेब हौ बाबा अपन सुरतिया।बाबा रचि रचि लिखबैयौ,कमरथुवा के मेहनतिया बाबा, रचि रचि लिखबै यौ।है तो स्वामी सबके भीतर, लेकिन लखा न होता है।बार-बार मन में विचार आ रहा था इस यात्रा में बाबा हम जैसे अकिंचन निर्बुधिया दूर्बल लाचार को क्यों जोड़े, किसी मजबूत हट्ठा कट्ठा को छोड़ कर।

(Udaipur Kiran) / अजय कुमार / गोविंद चौधरी

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