Uttar Pradesh

रिफ्रेशर कोर्स नए मुद्दों पर एक विमर्श और संवाद का माध्यम : प्रो आनंद शंकर सिंह

रिफ्रेशर कोर्स

–ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में शुरू हुआ बहुविषयक रिफ्रेशर कोर्सप्रयागराज, 22 मई (Udaipur Kiran) । मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र ईश्वर शरण पी.जी कॉलेज में यूजीसी एवं शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत गुरूवार को बारह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। जिसका विषय-मल्टी डिस्पलिनरी रिफ्रेशर कोर्स ऑन रिसेंट ट्रेंड्स एंड इनोवेशन इन ह्यूमनिटीज एंड सोशल साइंसेज है।केंद्र के निदेशक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर आनंद शंकर सिंह ने सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह रिफ्रेशर कोर्स देश भर के विभिन्न विषयों के शिक्षकों के लिए मानविकी और सामाजिक विज्ञान के नए मुद्दों पर एक विमर्श और संवाद का माध्यम बनता है। सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में आ रही नई शोध प्रविधियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब पर्यावरणीय विमर्श, स्त्री विमर्श, दलित विमर्श समेत नए विमर्शों को समझने हेतु विशेष शोध दृष्टि की आवश्यकता है। केंद्र के सहायक निदेशक डॉ. मनोज कुमार दूबे ने पिछले आठ वर्षों में केंद्र द्वारा फैकल्टी डेवलपमेंट और प्रशिक्षण के क्षेत्र में आयोजित किए गए विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र द्वारा अभी तक देश भर के लगभग पांच हजार शिक्षकों व अकादमिक अध्येताओं को प्रशिक्षित किया गया है।रिफ्रेशर कोर्स के उद्घाटन सत्र के विषय ‘‘यूज ऑफ डिजिटल टेक्नोलॉजी एंड टूल्स इन प्रेजेंट एरा’’ पर बोलते हुए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पवन चौरसिया ने कहा कि आज अकादमिक क्षेत्र में कृत्रिम बौद्धिकता का प्रयोग बढ़ता जा रहा है और इसमें अधिकतम सम्भावनाएं तलाशी जा रही हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से अध्ययन और शोध में तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करके दिखाया।दूसरे सत्र में ‘‘भारत में साइबर अपराध और फोरेंसिक चुनौतियां’’ विषय पर डॉ. पवन चौरसिया ने कहा कि भारत में साइबर अपराध बढते जा रहे हैं और इस क्षेत्र में प्रमाण इकट्ठा करने और उन्हें अदालत में प्रस्तुत करने में कई कठिनाईयां हैं। उन्होंने अकादमिक क्षेत्र में शिक्षकों को साइबर अपराध से सुरक्षित रहने के तरीकों को भी बताया। उन्होंने विभिन्न सरकारी गाइडलाइंस और ऑनलाइन एप्लीकेशन का प्रयोग किया।

तीसरे सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय विकास अध्ययन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुमित सौरभ श्रीवास्तव ने ‘‘इंटर सेक्शनलिटी : कंसेप्चुअल लैंडस्केप एंड इंपिरिकलटिरेंस’’ विषय पर कहा कि समाज में विभिन्न जेंडर अस्मिताओं की अभिव्यक्ति के लोग रहते हैं और नीति निर्माण के क्षेत्र में सभी अस्मिताओं को संज्ञान में लेना विविधता को समृद्ध करता है। शैक्षणिक क्षेत्र में भी बहु अस्मिताओं की स्वीकार्यता का विमर्श एक उन्नत अकादमिक बहस का विषय बना हुआ है।अंतिम सत्र में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के स्त्री अध्ययन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुप्रिया पाठक ने ‘‘पाठ्यचर्चा और शोध में नारीवादी सिद्धांत की प्रासंगिकता’’ पर कहा कि स्त्रीवादी ज्ञान परंपरा, ज्ञान की मुख्यधारा में एक सकारात्मक हस्तक्षेप है जो हाशिए की दृष्टि से सत्य का संधान करती है। यह इस विचार के लिए प्रतिबद्ध है कि स्त्रिया ंभी मनुष्य हैं और इसलिए उनकी इयत्ता (स्व) को स्वीकार करते हुए मनुष्यता के विकास का इतिहास समझने की आवश्यकता है तभी समग्रता के लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना संभव है। उन्होंने अकादमिक क्षेत्र में नारीवादी शोध प्रविधियों का वर्णन भी किया।रिफ्रेशर कोर्स के संयोजक डॉ जमील अहमद रहे और धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ. अंकित पाठक ने किया। कार्यक्रम में कॉलेज के शिक्षक डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, डॉ. विकास कुमार, डॉ. अविनाश कुमार पांडेय, डॉ. शाइस्ता इरशाद, डॉ. गायत्री सिंह समेत देश के 24 राज्यों से मानविकी और समाज विज्ञान के विभिन्न विषयों के 193 संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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