Uttar Pradesh

चश्मे या लेंस से दूर हो सकते हैं अपवर्तक नेत्र विकार : डॉ. पांडेय

*महंत अवेद्यनाथ पैरामेडिकल कॉलेज में अतिथि व्याख्यान का आयोजन

गोरखपुर, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित महंत अवेद्यनाथ पैरामेडिकल कॉलेज के ऑप्टोमेट्री विभाग में ‘रिफ्रैक्टिव ऑप्थोमोलॉजी इन पीडियाट्रिक्स’ विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित सीनियर ऑप्टोमेट्रिस्ट एवं आर्थोपटिस्ट डॉ. देव बी. पांडेय ने बच्चों में होने वाले रिफ्रैक्टिव नेत्र विकार और उसके निदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

डॉ. पांडेय ने कहा कि नेत्र बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण अंग है। इससे जुड़े विकारों को गंभीरता से लेकर त्वरित उपचार पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ बच्चों में रिफ्रैक्टिव या वर्तन दोष होते हैं। इसमें आंखों पर किरणें रेटिना पर सही से जमा न होकर उसके सामने या पीछे जमा होने लगती हैं। वर्तन दोष को चश्मा लगाकर या फिर कॉंटैक्ट लेंस लगाकर दूर किया जा सकता है। विकार के गंभीर अवस्था में होने पर अपवर्तक सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। अपवर्तक सर्जरी का लक्ष्य चश्मों या कॉंटैक्ट लेंसों पर निर्भरता कम करना है।

अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए पैरामेडिकल कॉलेज के हेड रोहित कुमार श्रीवास्तव कहा कि अगर ईश्वर द्वारा हमें आंखें नहीं दी जाती तो हम अपने आसपास मौजूद खूबसूरत वस्तुओं को देखने से वंचित रह जाते। अतः इसकी देखभाल हमें अपने जीवनशैली से जोड़नी चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन ऑप्टोमेट्री विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर कुंवर अभिनव सिंह राठौर द्वारा ने किया। कार्यक्रम में ऑप्टोमेट्री विभाग के प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय

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