–प्राकृतिक तरीके से करें बीमारियों को ठीक
प्रयागराज, 11 नवम्बर (Udaipur Kiran) । आयुर्वेद के अनुसार आहार विरुद्ध भोजन करने से शरीर में असंतुलन हो सकता है। जिन दो वस्तुओं का तासीर या स्वाद अलग हो, खाने पर नुकसान कर सकता है। जैसे चाय को लहसुन युक्त कोई आहार के साथ लिया जाता है तो वह शरीर में खून के जमने का कारण बन सकता है। फूड प्वाइजनिंग का कारण भी विरुद्ध आहार है।
यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान रेकी सेंटर पर जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने सोमवार को लोगों से कही।
उन्होंने कहा कि दिवाली पर्व से हल्की ठंड की आहट के साथ तापमान में गिरावट शुरू हो जाती है। ऐसे में अस्थमा, हड्डी रोग, कमर दर्द, स्पॉन्डिलाइटिस, अर्थराइटिस के रोगियों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। मौसम बदलने पर सर्दी जुकाम बुखार का प्रकोप भी बढ़ जाता है।
–सर्दी जुकाम, बुखार में शुगर बढ़ जाता है
सतीश राय ने बताया कि सर्दी, जुकाम, बुखार में ब्लड शुगर 20 प्रतिशत बढ़ जाता है, यह स्वाभाविक क्रिया है। फीवर के समय शरीर सेल्स के अंदर शुगर न भेज कर वह ब्लड में ही रख देती है। यह शरीर की प्रवृत्ति है। ब्लड शुगर का सिर्फ खाने से सम्बंध नहीं है, यह नींद न आने, चिंता करने, डर या भय की स्थिति में भी ब्लड शुगर बढ़ जाता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है कुछ दिनों में अपने आप शरीर कंट्रोल कर लेगी।
–शरीर का भी मेंटीनेंस जरूरी
सतीश राय ने कहा जैसे सड़क गाड़ी मकान का मेंटीनेंस होता है, इसी तरह शरीर को भी मेंटीनेंस करना होता है। इसका सबसे अच्छा स्रोत है फल खाना। उन्होंने कहा कि आजकल जिस तरह से लोग टीवी मोबाइल और फिल्मों से प्रभावित होकर शरीर बनाने के लिए बिना विशेषज्ञ सलाह के सप्लीमेंट ले रहे हैं, वह बहुत ही खतरनाक है।
–विरुद्ध आहार से भी होता है सर्दी जुकाम
सतीश राय ने कहा कि प्राकृतिक तरीके से बीमारियों को ठीक करने का उपाय करना चाहिए। शरीर से गंदगी निकालने का रास्ता वह चुने जो कुदरत ने हमें दिया है। उस रास्ते से टॉक्सिन निकालने पर शरीर डैमेज नहीं होता। जबकि हम खुश होते हैं तो शरीर का हारमोंस बैलेंस होता है। भोजन करते समय प्रसन्न होंगे तो डाइजेस्टिग एंजाइन्स बनना शुरू हो जाता है और गुस्से में खाने पर शरीर में एसिडिटी बनता है।
–स्पर्श चिकित्सा से भी होते हैं स्वस्थ
सतीश राय ने कहा हम क्या खा रहे हैं, इसका सेहत पर सीधा असर पड़ता है। भारतीय संस्कृति से दूरी के कारण ही प्राकृतिक उपचार पद्धतियों का नुकसान हुआ है। यदि हम नेचुरल उपचार की पद्धति स्पर्श चिकित्सा को जीवन का हिस्सा बनाएं तो स्वस्थ रह सकते हैं। मौसम में बदलाव पर जुड़ी चुनौतियां सर्दी जुकाम, बुखार, पीठ दर्द, कमर दर्द से भी बचाव होगा।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र