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आरबीआई का न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर प्रतिबंध, बैंक के बाहर प्रदर्शन 

न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के बाहर प्रदर्शन करते ग्राहक

-न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का निदेशक मंडल भंग, ग्राहकों में भारी नाराजगी

-रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के लिए नए प्रशासक किया नियुक्‍त

नई दिल्ली, 14 फरवरी (Udaipur Kiran) । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को मुंबई स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के निदेशक मंडल को 12 महीने के लिए भंग कर दिया है। आरबीआई ने बैंक के संचालन के लिए नया प्रशासन नियुक्त किया है। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पैसे निकालने, जमा करने, लोन देने और किसी प्रकार के लिए लेन-देन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे बैंक के ग्राहक परेशान और नाराज दिखे।

आरबीआई ने जारी एक बयान में कहा कि रिजर्व बैंक ने खराब प्रशासन के लिए न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के निदेशक मंडल में फेरबदल किया गया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि एसबीआई के पूर्व प्रबंधक श्रीकांत को बैंक का प्रबंधन करने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए निकासी और नए ऋण पर रोक लगाने सहित प्रतिबंधों के माध्यम से मार्गदर्शन करने के लिए प्रशासक नियुक्त किया गया है।

आरबीआई ने बैंक में खराब प्रशासनिक गड़बड़ियों को देखते हुए यह निर्णय लिया है।

रिजर्व बैंक के मुताबिक 14 फरवरी, 2025 न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई के निदेशक मंडल को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर लागू) की धारा 56 के साथ पठित धारा 36 एएए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भंग किया है। रिजर्व बैंक ने प्रशासक को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता के लिए ‘सलाहकारों की एक समिति’ भी नियुक्त की है। इस सलाहकार समिति में रवींद्र सपरा (पूर्व महाप्रबंधक, एसबीआई) और अभिजीत देशमुख (चार्टर्ड अकाउंटेंट) को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।

उल्‍लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई को बचत बैंक या चालू खाते या किसी अन्य खाते से नकदी निकालने सहित सभी वित्तीय कार्यों पर रोक लगा दिया था। हालांकि, इस नोटिस में कहा गया है कि बैंक को निर्देशों में बताई गई शर्तों के अधीन जमा के विरुद्ध ऋण सेट ऑफ करने की अनुमति है। इस बैंक की सबसे अधिक शाखाएं मुंबई और ठाणे में स्थित हैं, जबकि बैंक के कुल जमाकर्ताओं की संख्या 3 लाख से अधिक हैं।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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