Haryana

प्रदेश के गीत-संगीत व कला-संस्कृति का अद्भुत संगम है रत्नावली महोत्सव: नायब सिंह सैनी

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी कुरुक्षेत्र विवि में विद्यार्थियाें के साथ

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुरुक्षेत्र में राज्य स्तरीय रत्नावली महोत्सव में की शिरकत

34 विधाओं में 3 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं दिखा रहे हैं अपनी प्रतिभा

चंडीगढ़, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का रत्नावली महोत्सव प्रदेश के गीत संगीत, कला, संस्कृति को लेकर युवा पीढ़ी को जोड़ने का एक अद्भुत संगम है। हरियाणा प्रदेश सदैव शाश्वत ज्ञान परम्परा, सम्पन्नता और योद्धाओं की वीरता का प्रमुख केन्द्र रहा है। वैदिक काल से ही इस प्रदेश की सांस्कृतिक सम्पन्नता के साक्ष्य उपलब्ध हैं। इस वैदिक काल की संस्कृति और संस्कारों को रत्नावली महोत्सव सहेजने का काम कर रहा है। हरियाणा की सांस्कृतिक विकास यात्रा में इस उत्सव की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री साेमवार काे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित चार दिवसीय राज्यस्तरीय रत्नावली महोत्सव में जनसमूह काे संबोधित कर रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मंत्री सुभाष सुधा, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने शिल्प मेले का भी अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दीपावली सहित सभी त्योहारों की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, ज्ञान-विज्ञान, अनुसंधान, कौशल विकास, खेल, कला, संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक है। देश में ऐसे कम ही विश्वविद्यालय हैं जो शिक्षा के साथ-साथ अपने क्षेत्र व देश की संस्कृति को सहेजने का काम कर रहे हैं।

रत्नावली महोत्सव हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का अनूठा प्रयास है। पिछले 37 वर्षों से इस विश्वविद्यालय में रत्नावली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेश के गीत-संगीत, कला-संस्कृति को लेकर युवा पीढ़ी को जोड़ने का यह अद्भुत प्रयास है। हरियाणा की सांस्कृतिक विकास यात्रा में इस उत्सव की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। इस महोत्सव में हर वर्ष नई विधाओं से युवाओं को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हरियाणवी लोक संस्कृति को पुनर्जीवित करने व युवा विद्यार्थियों में अपनी महान विरासत पर गर्व का भाव जगाने में रत्नावली महोत्सव अपनी सार्थक भूमिका निभा रहा है। साहित्य-संगीत व कला का यह अद्भुत संगम है। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने मुख्यमंत्री व अन्य मेहमानों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि वर्ष 1985 में 8 विधाओं और 300 कलाकारों से रत्नावली महोत्सव का आगाज हुआ था। आज इस महोत्सव के मंच पर 34 विधाओं में 3000 से ज्यादा छात्र-छात्राएं अपनी प्रतिभा का हुनर दिखा रहे हैं। यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। यह विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला सरकारी विश्वविद्यालय है जिसका ए-प्लस-प्लस ग्रेड है। यह विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध, खेलों में देश में तीसरे स्थान पर, सांस्कृतिक गतिविधियों में 1100 विश्वविद्यालयों में तीसरे स्थान पर और 500 राजकीय विश्वविद्यालयों में पहले स्थान पर है।

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(Udaipur Kiran) शर्मा

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