रतलाम, 24 जनवरी (Udaipur Kiran) । रतलाम में मालवा मीडिया फेस्ट के द्वितीय संस्करण का शुभारंभ शुक्रवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के पर तीन बालिकाओं द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस अवसर का शुभारम्भ सत्र में मालवा के प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार अजहर हाशमी के प्रबोधन से हुआ। प्राध्यापक हाशमी ने शुभारंभ में ऋग्वेद की ऋचा से समानता व समरसता का संदेश देते हुए बताया कि वेदव्यास सृष्टि के प्रथम संपादक और नारद प्रथम पत्रकार थे। प्रोफेसर अजहर हाशमी ने कहा कि मालवा मीडिया फेस्ट के माध्यम से युवा व ग्रामीण प्रतिभाओं के लिए मंच है। यह रतलाम के लिए नवाचार है। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर उन्होंने अपनी रचना बेटियों शुभकामनाएं व जग का गौरव मेरा देश सुनाई।
मीडिया लिटरेसी के लिए काम कर रहा सक्षम संचार–
सक्षम संचार की निदेशक अर्चना शर्मा ने मालवा मीडिया फेस्ट 2.0 की प्रस्तावना रखते हुए बताया कि सक्षम संचार मीडिया की समग्र समझ व डिजिटल पॉवर का महत्व समझाने के लिए रतलाम में फेस्ट करवा रहा है।
सक्षम संचार शहर से लेकर ग्रामीण व जनजाति क्षेत्र में प्रिंट से लेकर सोशल मीडिया और मल्टीमीडिया तक युवा विद्यार्थी की मीडिया स्किल सीख सकें, इसके लिए सक्षम संचार वर्ष भर कई प्रकार के आयोजन करवाता है। उन्हीं आयोजनों का सामूहिक इवेंट मालवा मीडिया फेस्ट है।
वर्कशॉप का आयोजन
इनफ्लुएंसर दिलीप गिरी ने कहा अगर कंटेंट बनाना है तो बस फिर बनाते जाओ, शुरुआत ने व्यूज की चिंता ना करें-
मालवा मीडिया फेस्ट युवाओं के रचनात्मक अभिरुचि बढ़ाने कंटेंट क्रिएशन एवं इंस्टाग्राम प्रमोशन वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें विशिष्ट कंटेंट क्रिएटर्स एवं इनफ्लुएंसर्स ने युवाओं को टिप्स बताए। इस कार्यशाला के माध्यम से युवाओं को इम्पैक्ट और कंसिस्टेंट बने रहने के बारे में बताया। सोशल मीडिया इन्फेलुन्सर्स ने बताया कि सरस्वती मां को प्रसन्न करो, लक्ष्मी अपने आप आ जाएगी। इस सत्र में युवाओं ने अपने प्रश्न पूछ कर सहभागिता की।
वन नेशन वन इलेक्शन पर चर्चा –
प्रथम दिन के पैनल डिस्कशन में मताधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने गणतंत्र के महत्व और लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए आवश्यक, मत के महत्व पर बात करते हुए वन नेशन वन इलेक्शन पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि भारत के लिए वन नेशन वन इलेक्शन नया विचार नहीं है। प्रारंभ में 1952 से चुनाव इसी प्रकार होते थे। बार-बार चुनाव प्रक्रिया से मतदान में रुचि समाप्त हो जाती है। इससे मतदान में भी कमी आती है।
(Udaipur Kiran) जोशी
(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा