कोलकाता, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बुधवार सुबह से ही राशन घोटाले की जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्यभर में कई स्थानों पर छापेमारी की। ईडी के एक अधिकारी के अनुसार, कोलकाता, हावड़ा सहित कुल 14 जगहों पर यह छापेमारी की गई। इसी दौरान नदिया जिले के शांतिपुर ब्रह्मतला इलाके के राशन डीलर विश्वजीत कुंडु का नाम सामने आया। जब छापेमारी की सूचना मिली, तो वह अचानक से अपनी दुकान और गोदाम बंद कर गायब हो गए और उनका फोन भी स्विच ऑफ मिला।
जांच अधिकारी लगातार विश्वजीत से संपर्क करने का प्रयास करते रहे, यहां तक कि स्थानीय पुलिस के माध्यम से भी उन्हें खोजने की कोशिश की गई। ईडी अधिकारियों ने उनके परिवार के माध्यम से भी संदेश भिजवाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जांचकर्ताओं ने पांच घंटे तक इंतजार किया और अंततः विश्वजीत अपनी दुकान पर लौटे। उन्होंने अधिकारियों के सामने अपनी सफाई में कहा कि वह किसी व्यक्तिगत और जरूरी काम से बाहर गए थे।
ईडी अधिकारियों ने बुधवार सुबह से राज्य के विभिन्न स्थानों पर राशन घोटाले से जुड़े मामलों में छापेमारी की। शांतिपुर, हरीपुर, और मध्यपाड़ा जैसे इलाकों में भी छानबीन की गई। ईडी के अधिकारियों की एक टीम ने राजेंद्र प्रमाणिक के ‘न्याय उचित मूल्य राशन दुकान’ पर छापा मारा, जहां केंद्रीय बलों के जवानों ने पूरे इलाके को घेर रखा था। राजेंद्र के घर, दुकान और गोदाम की भी गहन तलाशी ली गई।
इसी तरह, ईडी की एक अन्य टीम ब्रह्मतला इलाके में विश्वजीत के राशन दुकान पर पहुंची, लेकिन वहां दुकान बंद मिली और गोदाम पर भी ताला लगा हुआ था। अधिकारियों ने कई बार विश्वजीत के फोन पर कॉल किया, लेकिन हर बार उनका फोन स्विच ऑफ मिला। कुछ समय बाद अधिकारियों ने उनके घर का रुख किया, लेकिन वहां भी उन्हें नहीं पाया जा सका। उनके परिवार वालों ने कहा कि विश्वजीत किसी व्यक्तिगत काम से बाहर गए हैं, लेकिन कहां गए हैं, इसकी जानकारी किसी को नहीं थी।
लगातार पांच घंटे इंतजार करने के बाद, विश्वजीत ने अंततः ईडी अधिकारियों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपनी दुकान और गोदाम का ताला खोला, जहां ईडी ने तलाशी ली। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि जरूरत पड़ने पर विश्वजीत से दोबारा पूछताछ की जा सकती है। अपनी अचानक से गायब होने की घटना पर सफाई देते हुए विश्वजीत ने कहा कि मुझे व्यक्तिगत आपातकालीन काम से अचानक बाहर जाना पड़ा था, लेकिन मैंने काम पूरा कर जल्द ही वापसी की।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर