हमीरपुर, 17 नवम्बर (Udaipur Kiran) । सिकन्दरपुरा इलाके में रहने वाली महिला नजमा बानो पत्नी याकूब की दो नवजात जुड़वां बच्चियां झाँसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में हुए अग्निकांड का शिकार हो चुकीं हैं। भ्रष्ट व्यवस्था और जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से अग्निकांड में नजमा बानो की गोद भी उजड़ कर सूनी हो गई है। रविवार को दोनों बच्चियों के शवों को कस्बा राठ के सिकन्दरपुरा इलाके में स्थित घर लाकर उन्हें दफनाया गया।
राठ के सिकन्दरपुरा के निवासी याकूब पुत्र छिद्धू ने बताया कि इसी माह की बीती 8 नवंबर को उसकी पत्नी नजमा बानो को प्रसव पीड़ा होने पर उसे राठ सीएचसी ले जाया गया। जहां से उसे उरई मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। बताया कि उरई मेडिकल कॉलेज से भी उसकी पत्नी नजमा बानो को झांसी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। जिसके बाद झांसी मेडिकल कॉलेज में 9 नवंबर वर्ष 2024 को उसकी पत्नी नजमा बानो ने दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया। जिसके बाद दोनों नवजात बच्चियों की कमजोर हालत को देखते हुए उन्हें झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में इलाज के लिए रखा गया था। बताया कि शुक्रवार रात करीब 11 बजे झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में अचानक भीषण आग लग गई। इसके बाद वहां पर अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। वहां पर मौजूद सुरक्षा गार्ड और अस्पताल प्रशासन के अलावा मौजूद स्टाफ नर्स सभी नवजातों को आग के हवाले छोड़कर अपनी जान बचाकर मौके पर भाग गए। जिसके बाद एनआईसीयू वार्ड में भर्ती सभी नवजातों के परिजनों ने जलती हुई आग के बीच से वहां पर भर्ती बच्चों को सुरक्षित निकालने का प्रयास किया। लेकिन इस बाद भी लगभग 11 नवजातों की आग में जलकर मौत हो गई। जिसमें से उसकी भी दो जुड़वां नवजात बच्चियां भी शामिल थी। पीड़ितों ने बताया कि वहाँ पर रखे हुए फायर सिलेंडर भी एक्सपायर हो चुके थे। याकूब और उसकी पत्नी नजमा ने घटना के लिए जिम्मेदार दोषियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज मिश्रा