Jammu & Kashmir

उपराज्यपाल कार्यालय जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक शासन को कमजोर कर रहा है- रतन लाल गुप्ता

उपराज्यपाल कार्यालय जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक शासन को कमजोर कर रहा है- रतन लाल गुप्ता

जम्मू, 21 जून (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के प्रांतीय अध्यक्ष एडवोकेट रतन लाल गुप्ता ने जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के कामकाज में उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा लगातार हस्तक्षेप किए जाने पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इस स्थिति को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और बेहद परेशान करने वाला बताया।

आज यहां शेर-ए-कश्मीर भवन में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से बातचीत करते हुए वरिष्ठ एनसी नेता ने कहा भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां सरकारें लोगों द्वारा चुनी जाती हैं और उनके जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने अपने प्रतिनिधियों को इस उम्मीद के साथ चुना है कि जैसा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने आश्वासन दिया है पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा और लोकतांत्रिक तंत्र सुचारू रूप से काम करेगा। लेकिन दुर्भाग्य से आठ महीने बीत चुके हैं और केंद्र जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने में बुरी तरह विफल रहा है और एलजी कार्यालय ने अभी भी निर्वाचित सरकार को बिजनेस रूल्स वापस नहीं भेजे हैं।

रतन लाल गुप्ता ने कहा कि हालांकि कानून और व्यवस्था सहित गृह विभाग उपराज्यपाल के विशेष नियंत्रण में है जैसा कि उन्होंने खुद कहा है, जबकि बाकी विभाग निर्वाचित सरकार के नियंत्रण में हैं। फिर भी एलजी कार्यालय दिन-प्रतिदिन के शासन में हस्तक्षेप करना जारी रखता है जिससे एक दोहरी शक्ति संरचना बनती है जो संस्थागत भ्रम और प्रशासनिक अराजकता पैदा कर रही है। उन्होंने कहा अगर मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार व्यापक जनहित में कुछ करती है तो एलजी कार्यालय को लोकप्रिय सरकार के कामकाज की सराहना करनी चाहिए लेकिन एलजी कार्यालय इसके विपरीत सोचता है। इस तरह की हरकतें गलत संदेश दे रही हैं कि लोगों के जनादेश को कमतर आंका जा रहा है और उसका अनादर किया जा रहा है। प्रांतीय अध्यक्ष ने कहा कि इस तरह की अतिशयता जनता को और अलग-थलग कर रही है खासकर उस क्षेत्र में जो पहले से ही प्रशासनिक अराजकता से जूझ रहा है।

प्रांतीय अध्यक्ष ने जम्मू शहर और सांबा व कठुआ जिलों के कंडी बेल्ट में पानी की कमी से जूझ रहे लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए चिनाब के पानी के इस्तेमाल के बारे में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के हालिया बयान का भी स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण मूल रूप से डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अपने कार्यकाल के दौरान रखा था जिन्होंने कंडी क्षेत्रों सहित जम्मू शहर में पानी की कमी को दूर करने के लिए चिनाब के पानी को उठाने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने याद दिलाया कि शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने भी सिंचाई और पेयजल मुद्दों को हल करने के लिए रावी-तवी नहर परियोजना शुरू की थी लेकिन पंजाब सरकार के कारण लगातार देरी ने पिछले कुछ वर्षों में संकट को और बढ़ा दिया है।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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