RAJASTHAN

आरएएस के साक्षात्कार 21 से, अभ्यर्थी संशय में

आरएएस के साक्षात्कार 21 से, अभ्यर्थी संशय में आयोग में अध्यक्ष पद है रिक्त, कांग्रेस शासन में नियुक्त सदस्य ही लेंगे साक्षात्कार

-आयोग में अध्यक्ष पद है रिक्त, कांग्रेस शासन में नियुक्त सदस्य ही लेंगे साक्षात्कार

अजमेर, 12 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान लोक सेवा आयोग ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2023 के लिए 21 अप्रेल से साक्षात्कार लेने का कार्यक्रम जारी कर दिया है, किंतु आश्चर्य की बात है कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने डेढ़ साल पूरा होने जा रहा कि पर अभी तक आयोग को अध्यक्ष नहीं मिला है, ना ही सदस्यों की संख्या ही पूरी हुई है। इस स्थिति में वे ही लोग राजस्थान के भावी प्रशासनिक अधिकारियों का चयन करेंगे जिनकी आयोग में नियुक्ति पूर्व की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने की थी।

राजस्थान में भाजपा की भजनलाल सरकार ने शपथ ग्रहण करते हुए वादा किया था कि आयोग की पारदर्शिता और प्रतिष्ठा को हर हाल में बहाल किया जाएगा। मौजूदा स्थिति में जबकि आयोग 21 अप्रैल 25 से साक्षात्कार की तैयारी कर रहा है अभ्यर्थियों सहित राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में यही बात सर्वाधिक चर्चा का विषय बना हुआ है कि जिस कांग्रेस शासन में नियुक्त आयोग अध्यक्ष व सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और आयोग की छवि खराब हुई वे ही लोग राजस्थान के भावी प्रशासनिक अधिकारियों का चयन करेंगे। गौरतलब है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग ने प्रशासनिक सेवाओं के 972 पदों के लिए 2 हजार 168 अभ्यर्थियों को पात्र घोषित किया है। इतने अभ्यर्थियों के साक्षात्कार विभिन्न बोर्ड गठन कर किए जाते हैं। बोर्ड का गठन आयोग के अध्यक्ष की सहमति से किया जाता है। बोर्ड में आयोग का कौन सा सदस्य बैठेगा यह भी वही तय करता है। पिछले कांग्रेस के शासन में भाजपा के नेताओं ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस विचारधारा वाले व्यक्तियों को आयोग का सदस्य नियुक्त कर दिया है। यह भी आरोप लगाया गया है कि ऐसे सदस्यों के कारण ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के परिवार के तीन सदस्य आरएएस बन गए। तब भाजपा नेताओं ने वादा किया कि हमारी सरकार बनने पर राज्य लोक सेवा आयोग में निष्पक्षता को प्राथमिकता दी जाएगी। दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में आयोग के कामकाज में सुधार लाने का वादा किया, लेकिन सरकार बनने के बाद आयोग में अध्यक्ष का पद गत छह माह से खाली पड़ा हैै। इस प्रकार एक सदस्य का पद भी करीब चार माह से रिक्त है।

आयोग का अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त करने में कोई संवैधानिक बाधा नहीं है। मुख्यमंत्री अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर किसी को भी आयोग का अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त कर सकते हैं। चूंकि भाजपा सरकार के गठन के बाद आयोग में एक भी सदस्य की नियुक्ति नहीं हुई है, इसलिए आयोग का कामकाज वो ही पांच सदस्य कर रहे हैं, जिनकी नियुक्ति कांग्रेस शासन में हुई थी। यानी 21 अप्रैल से शुरू होने वाले इंटरव्यू में आरएएस का चयन वो ही सदस्य करेंगे जो कांग्रेस की विचारधारा के हैं। मौजूदा समय में आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार केसी मीणा के पास है। सदस्य के तौर पर संगीता आर्य, मंजू शर्मा, कर्नल केसरी सिंह राठौड़ और प्रोफेसर अयूब खान काम कर रहे हैं। गहलोत सरकार में मुख्य सचिव रहे निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य तो पूर्व में सोजत से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव भी लड़ चुकी है। अशोक गहलोत ने कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा को भी आयोग का सदस्य नियुक्त कर दिया। कर्नल केसरी सिंह राठौड़ को आयोग का सदस्य नियुक्त करने के बाद अशोक गहलोत को सार्वजनिक तौर पर खेद जताना पड़ा। गहलोत ने कहा कि मुझे कर्नल राठौड़ की पृष्ठभूमि के बारे में पता होता तो वे आयोग के सदस्य के तौर पर नियुक्ति नहीं करते। इससे साफ हो गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल में किसी न किसी स्वार्थ के कारण आयोग में नियुक्ति की थी। ऐसे सदस्यों की मौजूदगी में वर्ष 2023 के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में से भावी प्रशासनिक अधिकारियों का चयन निष्पक्ष होगा इसे लेकर स्वयं अभ्यर्थी ही संशय में हैं।

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(Udaipur Kiran) / संतोष

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