
जयपुर, 15 मई (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी की ओर से रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के उपलक्ष में 21 से 31 मई तक पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर 300वीं जयंती अभियान चलाया जाएगा। अभियान को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यालय में गुरुवार को प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। वहीं रानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवनी पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह ने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासन काल में अपने पराक्रम के साथ—साथ समाज की कुरीतियों को समाप्त करने और समाज को समर्थ बनाने की दिशा में अभिनंदनीय कार्य किया। उन्होंने नैराश्य के भाव में जा रहे सनातन समाज को विदेशी दासता के कालखंड में जागृत करने का काम किया। उनके किए गए कार्यों से प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई में आज देश में कार्य हो रहे है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह ने कहा कि जब आतंकियों ने धर्म पूछकर बेगुनाहों को मारने का काम किया, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश की सेनाओं ने सबक सिखाकर अहिल्याबाई के न्यायप्रियता के सिद्धांत का ही पालन किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को धर्म, न्याय और राष्ट्रधर्म का सजीव स्वरूप बताते हुए कहा कि वे भारतीय सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना की अग्रदूत थी। उन्होंने विदेशी आक्रांताओं के कालखंड में जिस साहस, भक्ति और समर्पण से काशी से लेकर रामेश्वरम तक तीर्थ स्थलों का पुनरूद्धार करवाया, वह भारतीय इतिहास का अद्धितीय अध्याय है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि रानी अहिल्या बाई ने धर्मो रक्षति रक्षित: के वैदिक उद्घोष को ना केवल जिया, बल्कि उसे मूर्त रूप भी दिया। विदेशी आक्रांताओं के कालखंड में जब मंदिर विघ्वंश किए जा रहे थे, तब अहिल्या बाई ने बिना भय के उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का विराट कार्य अपने हाथों में लिया था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काशी विश्वनाथ कोरिडोर का जब निर्माण हुआ तो स्वयं प्रधानमंत्री ने इसे उनके काम का ही विस्तार कहा था। वे धर्म के प्रति संवेदनशील थी, उतनी ही न्यायप्रिय थी और न्याय के लिए अपने पुत्र को भी दंडित करने की दृढ़ इच्छा रखती थी।
प्रदेश स्तरीय कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ शिव शक्ति बख्शी ने रानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे सुशासन, सामाजिक सुरक्षा एवं सांस्कृति उत्थान के क्षेत्र में किए गए अपने कार्यों के लिए लोकमाता के रूप में समाज में पूजित एवं प्रतिष्ठित हुई। उन्होंने अपने जीवन में शुचिता एवं सादगी की ऐसी मिशाल कायम की, जिसकी आज भी शपथ ली जा सकती है। उन्होंने चाहे दहेज विरोधी कानून बनाने की बात हो, विधवा को दत्तक पुत्र रखने का अधिकार हो या फिर भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने का प्रावधान करना हो उन्होंने ऐसे सब विषयों पर कदम उठाए। उन्होंने ना केवल महिलाओं को सैनिक के रूप में सेना में शामिल कर ऐतिहासिक कदम उठाया, बल्कि महिलाओं के रोजगार के लिए भी माहेश्वर साड़ी को विशेष पहचान दिलाई।
डॉ शिव शक्ति बख्शी ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक चेतना को अक्षुण्य रखने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों का परिणाम है कि आज हम हमारे सांस्कृतिक केंद्रों से जुड़े हुए है। जबकि इससे पूर्व आक्रांताओं ने हमारे मान बिन्दुओं को ध्वस्त करने का काम किया था। उन्होंने अपने हर जनहित के कार्यों भगवान शिव का आदेश मानकर पुरा किया। उन्होंने इसके लिए खासकी कोष की स्थापना की थी, जिसमें तुलसी और बिल्व पत्र रखकर इसकी शुरूआत की थी। उन्होंने अपनी विपरीत पारिवारिक परिस्थितियों के बावजूद एक सशक्त महिला नेतृत्वकर्ता के रूप में समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया था।
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(Udaipur Kiran)
