
गुवाहाटी, 15 अप्रैल (Udaipur Kiran) । असम में मंगलवार को रंगाली बिहू (बोहाग बिहू) की शुरुआत हो गई है। यह पर्व असमिया नववर्ष और खेती के नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। लोग पारंपरिक परिधान पहनकर उत्सव में शामिल हो रहे हैं। गांव-गांव में गीत-संगीत और बिहू नृत्य की प्रस्तुतियां हो रही हैं।
बिहू उत्सव सात दिनों तक चलता है। पहले दिन ‘गोरू बिहू’ मनाया जाता है, जिसमें मवेशियों को नहलाया और सजाया जाता है। दूसरे दिन ‘मानुह बिहू’ में लोग नए कपड़े पहनते हैं और बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं।
त्योहार के दौरान पारंपरिक व्यंजन जैसे चिरा-दही, पीठा और लारू तैयार किए जाते हैं। महिलाएं मेखला-चादर और पुरुष पारंपरिक धोती-कुर्ता पहनते हैं। ढोल, पेपा और गगना की धुन पर बिहू नृत्य का आयोजन किया जाता है।
देश-विदेश में बसे असमिया समुदाय भी इस त्योहार को धूमधाम से मना रहे हैं। रंगाली बिहू असम की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया है।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
