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बलिया, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । शारदीय नवरात्रि में रामलीला का मंचन देश के कोने-कोने में परम्परागत रूप से होता है, लेकिन बलिया जनपद के सुदूरवर्ती इलाके गड़हांचल के टुटुवारी गांव में होने वाली रामलीला खास है। यहां 1952 से शुरू हुआ रामलीला का मंचन हर साल होता है। कभी भी यह रुका नहीं।
टुटुवारी गांव बाढ़ इलाके में स्थित है। यह जिले के आखिरी छोर पर बसा है। आजादी के काफी वक्त बाद यह गांव पक्की सड़क से जुड़ पाया। विकास से अछूते इस गांव के लोगों में भगवान रामके प्रति अटूट श्रद्धा है। विपरीत परिस्थितियों में भी यहां की रामलीला में कभी रुकावट नहीं आयी। भले ही बाढ़ आये। इस बार भी टुटुवारी में रामलीला हो रही है। गुरुवार रात्रि रामलीला के मंच से रावण के लंका दरबार में प्रभु श्रीराम के दूत हनुमानजी के प्रवेश का प्रसंग श्रद्धालुओं ने पूरे चाव से देखा। रावण के अहंकार रूपी गर्जना से जहां पूरा इलाका गुंजायमान हो उठा, वहीं हनुमानजी की चतुराई से रामलीला प्रेमियों में आश्वस्ति का भाव पैदा हुआ। गांव के चंद्रभूषण राय बताते हैं कि टुटुवारी की रामलीला खास है। यहां बाहर से कोई कमेटी नहीं आती। गांव के ही लोग रामलीला के विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते हैं। हर साल गांव के बाहर रहने वाले लोग रामलीला देखने चले आते हैं। यह रामलीला गांव की सामाजिक एकता की धुरी भी है।
(Udaipur Kiran) / नीतू तिवारी
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