
मीरजापुर, 21 मार्च (Udaipur Kiran) । विकास खंड कोन के तिलठी गांव में आयोजित पांच दिवसीय धर्म सम्मेलन के पांचवें दिन शुक्रवार को देवरिया से आए विचारक अखिलेशमणि शाण्डिल्य ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि रामचरितमानस केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन करने वाली अमूल्य धरोहर है। यदि समाज में रामराज्य की पुनः स्थापना करनी है, तो श्रीराम के आदर्शों को अपनाना होगा।
उन्होंने कहा कि रामराज्य की विशेषता थी कि वहां कोई भेदभाव नहीं था, सभी को समान अधिकार प्राप्त थे। भगवान श्रीराम ने अपने आचरण से यह सिद्ध किया कि सच्चा नेतृत्व वही है, जो अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी अपनाए। उन्होंने वनवास के दौरान अयोध्या से लेकर दंडकारण्य तक हर परिस्थिति में धर्म और मानवता का संदेश दिया।
शाण्डिल्य ने बताया कि श्रीराम ने अपने वनवास काल में अनेकों प्राणियों का उद्धार किया, जिसमें शबरी प्रसंग विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने प्रेमपूर्वक उसके जूठे बेर खाकर सामाजिक समानता का संदेश दिया। रामचरितमानस के हर प्रसंग में हमें नीति, भक्ति, सेवा और त्याग की सीख मिलती है।
कथा के अंतिम चरण में श्रीराम के आदर्शों पर चलते हुए रामराज्य की संकल्पना को साकार करने का आह्वान किया गया। कथा के समापन पर श्रद्धालु भक्ति भाव में सराबोर हो गए। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष रुद्रप्रसाद उपाध्याय, राजनाथ चौबे, आशुतोष उपाध्याय, टोनी दुबे, विक्कू दुबे, प्रभाकर दुबे, बाबूलाल उपाध्याय समेत भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
