राजगढ़,12 जनवरी (Udaipur Kiran) । देश में जब- जब परिवर्तन लाने की आवश्यकता हुई, तब-तब एक चैतन्य शक्ति ने अवतार लिया, स्वामी विवेकानंद का जब जन्म हुआ तब देश की चेतना सोई हुई थी। उन्होंने भारत के साथ विश्व भर में आध्यात्मिक चेतना जगाई। हम कह सकते है कि वह साक्षात संस्कृति एवं मूल्यों की मूर्ति है। शिकागो व्याख्यान में उन्होंने अलख जगाकर अमेरिका में अपने धर्म को श्रेष्ठ साबित किया, उसका परिणाम हुआ कि यहां भी धर्म चेतना जागी और समाज में परिवर्तन हुआ। उन्होंने कहा था मैं ऐसा धर्म चाहता हूं जो आध्यात्मिकता के साथ राष्ट्रीय स्वाभिमान का बोध कराए। वह केवल आध्यात्मिक बात ही नही करते थे, वे विज्ञान एवं तकनीकी के बारे में भी संभाषण देते थे। यह बात ब्यावरा नगर के अरिहंत गार्डन में माधव स्मृति न्यास द्वारा रविवार को आयोजित व्याख्यानमाला को सम्बोधित करते हुए आरएसएस के प्रान्त सह संपर्क प्रमुख गिरीश जोशी ने कही।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि पश्चिम ने विज्ञान में प्रगति की है, वहीं भारत ने आध्यात्मिक तरक्की की है। दोनों को मिला दिया जाये तो समाज में आर्थिक,सामाजिक परिवर्तन होगा। उनके वचनों से भारत में ही नहीं विश्व भर में एक वैचारिक परिवर्तन हुआ। उन्होंने कहा पांच परिवर्तन से समाज में बड़े पैमाने पर परिवर्तन लाया जा सकता है। नागरिक शिष्टाचार का पालन करेंगे तो दुनिया हमें मानेगी, आर्थिक तरक्की के लिए स्वदेशी का उपयोग करें, हमारी जीवन शैली भी स्वदेशी ही बने, हमारा खानपान भी ऐसा होना चाहिए जिससे हम मजबूत बने, हर समस्या का निदान भारत में मिल सकता है, लेकिन हम कितने बंटे हुए है इसका विचार करना चाहिए।सामाजिक समरसता का पालन निजी जीवन में करना चाहिए, मनुष्य से प्रेम करोगे तो भगवान मिलेंगे। भेद को मिटाने के बाद एक आदर्श राष्ट्र खड़ा होगा।समरसता के अभाव में देश अंदर से खोखला हो रहा है। भारत की परिवार व्यवस्था जैसी व्यस्था विश्व में कहीं नही है। परिवार व्यवस्था के करण ही भारत देश इतने आक्रमणों के बाद भी नही मिटा। कार्यक्रम के दौरान सेवानिवृत प्राचार्य प्रमोद गुप्ता ने कुटुंब प्रबोधन पर अपने विचार व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि धैर्य, बुद्धिमत्ता एवं समझौते से कुटुंब एक रहता है। इस मौके पर माधव स्मृति न्यास के अध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश सोनी, आरएसएस के विभाग कार्रवाह धर्मेंद्र शर्मा मौजूद रहे। कार्यक्रम को संचालन संजय यादव एवं आभार योगेश दांगी ने व्यक्त किया।
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(Udaipur Kiran) / मनोज पाठक