
हरिद्वार, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) । प्रेस क्लब द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी का प्रेस क्लब अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी एवं महामंत्री दीपक मिश्रा ने स्वागत कर स्मृति चिन्ह भेंट किया।
कार्यक्रम में पत्रकारों से संवाद करते हुए राजेंद्र चौधरी ने कहा कि निष्ठा एवं ईमानदारी से निष्पक्ष पत्रकारिता करना आज संकट के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में पत्रकारिता को जीवित रखने का दायित्व पत्रकार समाज पर है। पत्रकारों पर हो रहे हमलों की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि अनियंत्रित नौकरशाही के कारण नैतिक मूल्य ध्वस्त हो रहे हैं।
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भ्रमजाल फैलाया जा रहा है। सत्य को असत्य करने की कोशिश की जा रही है। समाज में दूरियां बढ़ रही है। भाईचारा समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा खतरा नफरत का बाजार है। नौजवान, किसान हताशा निराशा का सामना कर रहे हैं। नौजवान रोजगार के लिए परेशान है। महिलाओं का जीवन भी संकट में है। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं। समाजवादी पार्टी मानती है कि सामाजिक न्याय सबसे बड़ा माध्यम होना चाहिए। पिछड़ों और वंचितों को अवसरों से दूर रखा जा रहा है। राजनीति भी ईमानदारी से की जा सकती है। लोकतंत्र में हालात बदले बदले से हैं। चारों तरफ अराजकता फैली हुई है। कानून को मनमाने तरीके से चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल में उत्तर प्रदेश का चहुंमुखी विकास हुआ। सभी वर्गों के हितों में काम किए गए। बढ़ती महंगाई के कारण आम लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। किसान मजदूर परेशान है, लेकिन भारत की जनता के पास सबसे बड़ी ताकत है। राजनीति में संविधान एवं जनता सर्वाेपरी है। सत्ता में बैठी सरकार को जनता के हितों में फैसले लेने चाहिए। लोकतंत्र के मूल्यों को समझने की आवश्यकता है।
सपा शिक्षक सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनेंद्र मिश्र, उत्तराखंड के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष डा. राजेंद्र पाराशर मशकुर कुरैशी, महेन्द्र यादव, पूर्व महानगर अध्यक्ष लव कुमार दत्ता, पूर्व प्रदेश महासचिव महंत शुभम गिरी, नरेन्द्र गुर्जर, जयराम सैनी, नैन सिंह, सपा छात्र सभा पूर्व महानगर अध्यक्ष कपिल शर्मा जौनसार आदि सपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
