जोधपुर, 11 नवम्बर (Udaipur Kiran) । राज्य उपभोक्ता आयोग और जिला उपभोक्ता आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के खाली पदों पर भर्ती की लंबे समय से कार्रवाई शुरू नहीं करने और राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेशानुसार हलफनामा दाखिल नहीं किए जाने को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और वरिष्ठ न्यायाधीश श्रीचंद्रशेखर ने राज्य के खाद्य,नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलात के प्रमुख सचिव को न्यायालय के समक्ष बुधवार को संपूर्ण रिकॉर्ड के साथ हाजिर होने का आदेश दिया है।
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी और रतनाराम ठोलिया ने कहा कि राज्य के जिला आयोगों और राज्य आयोग में पिछले डेढ़ से दो साल से अध्यक्ष और सदस्यों के 54 पद रिक्त है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के नियम 6 में आज्ञात्मक प्रावधान है कि राज्य सरकार उपभोक्ता आयोग में होने वाली रिक्तियों से 6 माह पूर्व ही रिक्तियां घोषित करेगी ताकि रिक्तियों से पूर्व ही भर्ती की सम्पूर्ण कार्रवाई पूर्ण हो सके और उपभोक्ता अधिनियम के त्वरित न्याय के उद्देश्य को बरकरार रख सके।
उन्होंने कहा कि खंडपीठ ने फरवरी से अक्टूबर तक लगातार आदेश जारी कर राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल कर यह बताने के आदेश दिए कि राज्य में राज्य उपभोक्ता आयोग और जिला उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्ष और सदस्यों की भर्ती प्रक्रिया की स्थिति से अवगत कराएं,लेकिन उपभोक्ता मामलात ने इस पर न तो कोई हलफनामा और न ही भर्ती की तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराई है। उन्होंने कहा कि इससे न्यायिक कार्रवाई पूरी तरह से बाधित हो गई है।
खंडपीठ के मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और वरिष्ठ न्यायाधीश श्रीचंद्रशेखर ने खंडपीठ के गत 15 अक्टूबर के आदेश की पालना नहीं करने पर राज्य के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलात के प्रमुख सचिव को बुधवार को संपूर्ण रिकॉर्ड के साथ हाजिर होने का आदेश दिया।
(Udaipur Kiran) / सतीश