जोधपुर, 11 जनवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट राजकीय मेडिकल कॉलेज जोधपुर से राजमेस सोसाइटी संचालित मेडिकल कॉलेज, जैसलमेर में डेपुटेशन/ स्थानान्तरण किये जाने के आदेश पर रोक लगाई है। इस बारे में अगली सुनवाई 21 फ़रवरी को होगी। याची चिकित्सक शिक्षक की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पैरवी की। रिट याचिका की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट न्यायाधीश अरूण मोंगा की एकलपीठ ने अंतरिम आदेश दिए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने रिट याचिका पेश कर बताया कि वर्तमान में राजस्थान सरकार के अधीन कुल छह मेडिकल कॉलेज है जो क्रमश: जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, उदयपुर, कोटा एवं जयपुर में है तथा इन आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में कार्यरत चिकित्सक शिक्षक पर राजस्थान सेवा नियम और राजस्थान पेंशन नियम लागू होते हैं।। जबकि अन्य जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए राज्य सरकार ने राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसाइटी बनाकर इसका पंजीयन राजस्थान संस्था रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1958 के अंतर्गत 10 अक्टूबर 2016 को करवाया गया और इसके अधीन खोले जाने वाले मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए अलग से सेवा नियम 2017, 2022, 2024 बनाये गए। तदनुसार राजमेस के अधीन व संचालित मेडिकल कॉलेज में राजस्थान सेवा नियम के प्रावधान लागू नही होते हैं।
याचिकाकर्ता डॉ एस एन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर में वरिष्ठ आचार्य के पद पर कार्यरत हैं और नियमानुसार उसका पदस्थापन और स्थानान्तरण राजमेस संचालित मेडिकल कॉलेज में याचिकाकर्ता की इच्छा के बिना नही किया जा सकता है और न ही राजमेस संचालित मेडिकल कॉलेज में उसकी ईच्छा के बगैर उसका डेपुटेशन किया जा सकता है। बावजूद इसके, याचिकाकर्ता का पदस्थापन/ डेपुटेशन आक्षेपित 30 दिसम्बर 2024 से राजमेस संचालित मेडिकल कॉलेज, जैसलमेर में कर दिया गया, जो गैर क़ानूनी है।
याची के अधिवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार के छह मेडिकल कॉलेजों से चिकित्सक शिक्षकों का स्थानान्तरण अग्रिम आदेशों तक का कह कर किया जाता रहा है जो नियमानुसार सही नहीं है और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग/ एनएमसी, नई दिल्ली द्वारा किये जाने वाले सामयिक निरीक्षण में निर्धारित चिकित्सक शिक्षकों के आँकड़े पूरे दिखाने और निरीक्षण टीम की आंखों में धूल जोकने मात्र के उद्देश्य से सीमित समय के लिए चिकित्सक शिक्षकों का पदस्थापन/ डेपुटेशन/स्थानान्तरण किया जाता रहा है, जो विधि विरुद्ध है।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ता राजमेस सोसाइटी के सेवा का सदस्य नही है बल्कि वह राजस्थान एजुकेशन मेडिकल सेवा का सदस्य हैं जो सेवा नियम 1962 से शासित होता है, ऐसे में उसके मूल कैडर से बाहर स्थानान्तरण किया जाना राजस्थान सेवा नियम के विरुद्ध होकर अवैध और असंवेधानिक है तथा राजमेस का अतिरिक्त निदेशक उसका नियुक्ति अधिकारी भी नहीं है। ऐसे में अतिरिक्त निदेशक, राजमेस द्वारा बिना अधिकारिता और बिना प्रशासनिक सक्षमता के आक्षेपित आदेश जारी किया गया है जो पूर्णत अवैध हैं।
रिट याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होते हुए हाइकोर्ट की एकलपीठ ने डेपुटेशन आदेश 30 दिसंबर 2024 की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को जवाब तलब किया है। प्रकरण की अगली पेशी 21 फरवरी 2025 नियत की है।
(Udaipur Kiran) / सतीश