
राजस्थान हाईकोर्ट : उच्चतम न्यायालय का आदेश राज्य सरकार को 28 मार्च तक विशेष शिक्षकों के पद निर्धारित करने होंगे
जोधपुर, 12 मार्च (Udaipur Kiran) । देश के हर नागरिक को जीने के अधिकार के साथ शिक्षा प्राप्ति का भी अधिकार है और उनकी शिक्षा को शारीरिक आवश्यकता के अनुरूप व्यवस्थित करने का दायित्व राज्य सरकार का है। सामान्य शिक्षा के साथ राज्य सरकारें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा के लिए कार्य योजना बनाने में अभी तक ज्यादा प्रभावी कार्य नहीं कर पाई है। राज्य सरकारों द्वारा विशेष शिक्षा के क्षेत्र में शिथिल प्रक्रिया पर यह कठोर टिप्पणी उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान हाल ही न्यायाधिपति सुधांशु धूलिया व के. विनोद चंद्रन की पीठ ने विपिन शर्मा और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान निर्देश दिए । उच्चतम न्यायालय की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि 2021 के फैसले के बावजूद किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने न तो निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया है और न ही पदों का निर्धारण कर नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की है। न्यायालय ने 28 मार्च 2025 तक यह कार्यवाही संपूर्ण करने के निर्देश दिए हैं, जिसका प्रचार प्रसार न्यूनतम दो मान्यता प्राप्त समाचार पत्र और राज्य सरकार की वेबसाइट के माध्यम से अधिसूचित करते हुए यह प्रक्रिया प्रारंभ करनी है। इसके लिए पूर्व में कार्य कर रहे संविदा शिक्षक, जिन्होंने तकनीकी योग्यता हासिल की है , उन्हें तीन सदस्य कमेटी की संस्तुति होने पर नियमित शिक्षकों की तरह वेतन और भत्ते दिए जाने का आदेश भी न्यायालय ने दिया है ।
राजस्थान सरकार और उच्चतम न्यायालय के फैसले की प्रभावकता
राजस्थान में 71929 सरकारी स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चे पढ़ रहे हैं। इनके लिए अनुपातिक निर्धारण से बहुत कम संख्या में तृतीय श्रेणी और वरिष्ठ शिक्षा के विशेष पद तो स्वीकृत है किंतु व्याख्याता, विशेष शिक्षा के पद नियम निर्धारण के बावजूद भी विज्ञापित नहीं किए गए हैं! इस के लिए संघर्ष समिति के विपिन शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा राजस्थान नि:शक्तजन आयुक्त के न्यायालय में विशेष शिक्षा के व्याख्याता पदस्थापित करने के लिए वाद दायर किया गया। वाद के फैसले में न्यायालय ने 3 फरवरी 2025 को राज्य सरकार तथा निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर को अपने निर्देश में व्याख्याता के पद सृजित कर सुयोजित भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दिए । इसी की निरंतरता में उच्चतम न्यायालय का आदेश राज्य सरकार की शिथिल कार्य शैली पर सुप्रीम निर्देश है ,जिसकी पालन की अपेक्षा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों द्वारा की जा रही है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
