
जोधपुर, 27 मई (Udaipur Kiran) । पाली जिले से करीब आठ महीने पहले गायब हुई नाबालिग को ढूंढने में नाकाम रही पाली पुलिस को राजस्थान हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। इससे एक दिन पहले कोर्ट ने पाली पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और एसपी द्वारा पेश हलफनामा, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था, उसे बेहद ही कैजुअल अप्रोच मानते हुए स्पष्टीकरण मांगा था। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी व जस्टिस सुनील बेनीवाल की खंडपीठ ने पाली एसपी से कहा– एक आईपीएस अधिकारी होते हुए बिना पढ़े शपथ पत्र पर साइन कैसे कर सकते हैं।
दरअसल पाली जिले की एक नाबालिग के गत वर्ष 10 अक्टूबर को गायब होने पर उसके पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस उस नाबालिग को दस्तयाब करने की बजाय औपचारिकताएं ही करती रही। इससे परेशान होकर पीड़ित ने अधिवक्ता रिपुदमन सिंह मय अधिवक्ता ललकारसिंह के माध्यम से 15 जनवरी को हैबियस कॉर्पस रिट दायर की। उस पर हाईकोर्ट ने अप्रैल में संज्ञान लेते हुए पाली पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि नाबालिग के गायब होने के मामले में अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई, उसकी विस्तृत जानकारी के साथ 26 मई को नाबालिग को ढूंढकर कोर्ट के समक्ष पेश करें। गत 26 मई को हुई सुनवाई में एएजी दीपक चौधरी ने पाली पुलिस अधीक्षक की ओर से 19 पैराग्राफ का विस्तृत हलफनामा पेश किया। इसका अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने हलफनामा के पैरा संख्या 17, 18 व 19 पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से इस तरह के हलफनामे की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। तब पाली पुलिस अधीक्षक को 27 मई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर स्पष्ट करने के निर्देश दिए। मंगलवार को पाली पुलिस अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए। यहां हाईकोर्ट ने अनौपचारिक हलफनामा पेश करने को लेकर फटकार लगाते हुए एसपी के खिलाफ ही एक्शन तक लेने की बात कही। बाद में एसपी चूनाराम जाट ने गलती स्वीकार करते हुए कोर्ट को आश्वस्त किया कि आगे से अधिक सावधानी बरती जाएगी। साथ ही उन्होंने नाबालिग को ढूंढने के लिए कोर्ट से दस दिन का समय मांगा। तब कोर्ट ने पुलिस को एक महीने की मोहलत देते हुए स्पष्ट कहा कि इसके बाद भी नाबालिग को कोर्ट में पेश नहीं किया, तो पुलिस अधीक्षक पर हाईकोर्ट कार्रवाई कर सकता है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
