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जोधपुर, 19 फरवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कस्टम विभाग के दो निरीक्षकों, राकेश मंडोला और राकेश चंद्र, को भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 325, 330, और 331 के तहत आरोपों से मुक्त कर दिया। अदालत ने यह निर्णय लिया कि इन आरोपिताें के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले राज्य सरकार से आवश्यक स्वीकृति नहीं ली गई थी, जो कि भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 197 के तहत अनिवार्य है।
यह मामला एक शिकायतकर्ता रामेश्वर लाल सोनी द्वारा दर्ज की गई शिकायत से संबंधित था, जिसमें आरोप था कि कस्टम अधिकारियों ने उन्हें उनके घर से पकडक़र कस्टम कार्यालय में ले जाकर शारीरिक चोटें पहुंचाई थीं। हालांकि, न्यायालय ने यह माना कि कस्टम अधिकारियों ने अपने आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान यह कार्य किया था, और उन्हें धारा 197 के तहत सुरक्षा प्राप्त है। इसके तहत सार्वजनिक कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान किसी भी अपराध के लिए राज्य सरकार से पहले स्वीकृति प्राप्त करनी होती है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग ने आदेश देते हुए कहा कि कस्टम अधिकारियों का यह कृत्य उनके आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान हुआ था, हालांकि यह कृत्य कर्तव्य की सीमा से बाहर था, लेकिन फिर भी यह उनके आधिकारिक कर्तव्यों से जुड़ा हुआ था। अदालत ने इस आधार पर 23 नवम्बर 2016 के सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और आरोपिताें को दोषमुक्त कर दिया।
(Udaipur Kiran) / सतीश
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