जोधपुर, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपाउंडर नर्स जूनियर ग्रेड भर्ती 2024 में विशेष योग्यजन (बोथ लेग विकलांग) के ऑफलाइन आवेदन स्वीकार करने औऱ भर्ती प्रक्रिया में अयोग्य घोषित नहीं करने के अंतरिम आदेश दिए है। भर्ती प्रक्रिया दोनों पैर की विकलांगता को पात्र विशेष योग्यजन श्रेणी में शामिल करने को लेकर को चुनौती दी गई थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 क़ानून बनाने का अंतिम उद्देश्य यह है कि कल्याणकारी राज्य यह सुनिश्चित करें कि दिव्यांग व्यक्तियों को सामाजिक मुख्य धारा में शामिल करने के कोई भी अवसर नहीं छूटे।
यह है मामला :
दरअसल चूरू जिला निवासी रामदेव कस्वां व अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी और विनीता चांगल ने आयुर्वेद विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में दोनों पैर से विकलांग अभ्यर्थियों को विकलांग श्रेणी में आवेदन करने से वंचित रखने के राज्य सरकार आयुर्वेद विभाग के आदेश और भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 औऱ 2021 में जारी अधिसूचनाओं की वैद्यता को चुनौती देते हुए खंडपीठ में रिट याचिका दायर की और खंडपीठ को बताया कि पूर्व में वर्ष 2013 में जारी भर्ती प्रक्रिया में दोनों पैर की विकलांगता को पात्र विशेष योग्यजन श्रेणी में शामिल किया गया था और वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा नया क़ानून विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 पारित कर देने के बाद वर्ष 2018 में जारी भर्ती प्रक्रिया में दोनों पैर की विकलांगता को पात्र विशेष योग्यजन श्रेणी में चिन्हित कर उन्हें शामिल किया जाकर नियुक्तियां दी गई और ऐसे दोनों पैर की विकलांगता वाले नियुक्त अभ्यर्थी आयुर्वेद विभाग में संतोषजनक सेवारत है। अब दिसंबर 2024 में जारी कम्पाउण्डर नर्स जूनियर ग्रेड के 740 पदों हेतु जारी विज्ञप्ति में दोनों पैर की विकलांगता (बोथ लेग) को पात्र विशेष योग्यजन श्रेणी में बिना किसी विशेष कारण से वंचित कर दिया गया, जो विकलांग व्यक्तियों के अधिकार क़ानून 2016 और नियम 2018 के प्रावधानों का ही उल्लंघन है।
प्रक्रिया में अपात्र किया जाना असवैधानिक और गैर कानूनी :
याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि पूर्व में आयुर्वेद विभाग के सचिव और निदेशक सहित साथ सात सदस्यीय कमेटी ने यह निर्धारित भी कर दिया कि आयुर्वेद विभाग में फार्मासिस्ट और कम्पाउण्डर/नर्स दोनों पद एक ही है और दोनों का कार्य व दायित्व एक समान है। ऐसे में भारत सरकार की अधिसूचना में फार्मासिस्ट पद पर दोनों पैर से विकलांग को विशेष योग्यजन की श्रेणी में पात्र माना गया है लेकिन याचिकाकर्ताओं के साथ भेदभाव करते हुए उन्हें भर्ती प्रक्रिया में अपात्र किया जाना असवैधानिक और गैर कानूनी है। जब विज्ञापित पद से जुड़े सभी कर्तव्य और कार्यों को करने में याचिकाकर्ता सक्षम है और राज्य के आयुर्वेद विभाग द्वारा ही याचिकाकर्ताओ को विकलांग श्रेणी में प्रवेश दिलाकर आयुर्वेद नर्सिंग में डिप्लोमा करवाया गया और अब रोजगार देने के समय बोथ लेग विकलांग को विशेष योग्यजन श्रेणी से अपात्र करना बोधगम्य वर्गीकरण नहीं कहा जा सकता है। रिट याचिका में विभिन्न पदों आयुष चिकित्सक, नर्स, जनरल नर्स, मेडिकल ऑफिसर सहित विभिन्न पदों के कार्यात्मक आवश्यकता और कार्य की परिस्थितियों के अनुसार कम्पाउण्डर/नर्स भर्ती प्रक्रिया में दोनो पैर की विकलांगता को पात्र विकलांग श्रेणी में शामिल करने की गुहार लगाई गई। प्रकरण के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओ के ऑफलाइन आवेदन पत्र स्वीकार करने और भर्ती प्रक्रिया में अयोग्य नहीं ठहराने के अहम अंतरिम आदेश पारित करते हुए मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी नियत की।
(Udaipur Kiran) / सतीश