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राजस्थान हाईकोर्ट : एक वर्षीय बालिका की कस्टडी मां को सौंपी

jodhpur

जोधपुर, 27 मई (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च जोधपुर ने एक वर्षीय बालिका की कस्टडी को लेकर एक अत्यंत संवेदनशील एवं ऐतिहासिक निर्णय पारित किया। यह निर्णय न केवल न्यायिक विवेक का प्रतीक बना, बल्कि माता-पिता के मध्य उत्पन्न एक जटिल पारिवारिक विवाद को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाने का मार्ग भी प्रशस्त किया।

याचिका में बालिका की माता ने अपने पति से बच्ची की अविलंब अभिरक्षा की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नमन मोहनोत एवं अधिवक्ता मनीषा फोफलिया ने न केवल सशक्त कानूनी पक्ष प्रस्तुत किया, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी न्यायालय को प्रभावित किया। न्यायमूर्ति डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी एवं न्यायमूर्ति सुनील बेनीवाल की खंडपीठ ने मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों को मध्यस्थता के लिए भेजा। अधिवक्ताओं मोहनोत और फोफलिया के कुशल मार्गदर्शन व संतुलित संवाद के चलते महज एक दिन में ही मध्यस्थता सफल रही और एक सकारात्मक समझौता संपन्न हुआ, जिसके अंतर्गत बालिका की तत्काल कस्टडी मां को सौंपी गई, पिता को प्रत्येक पखवाड़े में मुलाकात का अधिकार दिया गया, बच्ची के नाम संपत्ति का हिस्सा सुरक्षित रखने पर सहमति बनी तथा भविष्य में मां के पुनर्विवाह की स्थिति में पिता को कस्टडी की पुन: मांग करने का वैधानिक अधिकार सुरक्षित रखा गया। यह निर्णय इस बात का जीवंत प्रमाण है कि जब न्यायिक प्रणाली में संवेदना, संवाद और दक्ष अधिवक्ताओं का समन्वय होता है, तो सबसे कठिन पारिवारिक विवाद भी शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में बढ़ सकते हैं। इस ऐतिहासिक आदेश में अधिवक्ता नमन मोहनोत एवं मनीषा फोफलिया की भूमिका न्याय की राह में प्रकाश स्तंभ की भांति रही, जिन्होंने नारी के मातृत्व अधिकार की रक्षा करते हुए एक अबोध बालिका के भविष्य को सशक्त रूप से सुरक्षित किया।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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