जोधपुर, 6 नवम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने नोकिया सॉल्यूशंस एंड नेटवर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय मलिक के खिलाफ श्रीगंगानगर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को रद्द कर दिया है। यह फैसला संजय मलिक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मोंगा ने दिया।
श्रीगंगानगर निवासी पंकज सिंह ने नोकिया का एक फोन खरीदने के बाद उसमें तकनीकी खराबी की शिकायत की थी। इस शिकायत पर श्रीगंगानगर उपभोक्ता आयोग ने 26 हजार 999 रुपये के मोबाइल की खराबी को लेकर आदेश दिया था। हालांकि नोकिया सॉल्यूशंस एंड नेटवर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का इस मोबाइल के निर्माण या बिक्री से प्रत्यक्ष संबंध नहीं था। कंपनी ने 2014 में अपना मोबाइल निर्माण व्यवसाय माइक्रोसॉफ्ट को बेच दिया था और बाद में 2016 में यह व्यवसाय एचएमडी ग्लोबल को हस्तांतरित हो गया। फिर भी जिला उपभोक्ता आयोग ने संजय मलिक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। मलिक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विनीत जैन और वकील विवेक माथुर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। दोनों अधिवक्ताओं ने अदालत के सामने तर्क दिया कि पंकज सिंह को कंपनी की ओर से पूरा मुआवजा दिया जा चुका है और पंकज सिंह ने स्वयं आयोग में आवेदन देकर मामले को वापस लेने की बात कही थी। अधिवक्ता ने बताया कि इस विवाद में संजय मलिक या उनकी कंपनी का कोई प्रत्यक्ष या कानूनी संबंध नहीं था, क्योंकि एचएमडी ग्लोबल अब नोकिया ब्रांड के तहत फोन का समर्थन करता है। जस्टिस अरुण मोंगा ने याचिकाकर्ता के वकीलों के तर्कों को स्वीकार करते हुए कहा कि जब उपभोक्ता और कंपनी के बीच मामला सुलझा लिया गया है, तो आयोग को इस मामले में किसी अधिकारी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं करना चाहिए। इसके बाद अदालत ने संजय मलिक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को रद्द करते हुए उपभोक्ता आयोग में चल रही सभी प्रक्रियाओं को समाप्त करने का आदेश दिया।
(Udaipur Kiran) / सतीश