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राजस्थान हाईकोर्ट : पशुपालन निदेशक को व्यक्तिगत उपस्थित होने का आदेश

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जोधपुर, 19 फरवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने राधा प्यारी व्यास की अवमानना याचिका में प्रसंज्ञान लेते हुए निदेशक पशु पालन को 27 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश जारी किया।

सनद रहे जोधपुर निवासी राधा प्यारी व्यास के पति स्वर्गीय सोम किशन व्यास की नियुक्ति पशु पालन विभाग में पशु सहायक के रूप में 03 मार्च 1958 को हुई थी। पशु पालन विभाग के आदेश दिनांक 11 जुलाई 1966 के द्वारा दो वर्षीय पाठ्यक्रम पूर्ण करने की अनुमति दी गई। उक्त पाठ्यक्रम पूर्ण करने पर स्व. सोम किशन हर्ष व उसके साथ के कर्मचारियों को पशु शल्य चिकित्सक के पद पर कार्य करने की अनुमति प्रदान की गयी। इस संदर्भ में पशु शल्य चिकित्सकों की वरिष्ठता सूची भी जारी की उसमें उसके पति का नाम क्रम संख्या 33 पर दर्ज था। इसके पश्चात् वर्ष 1970 में भी पशु शल्य चिकित्सकों की वरिष्ठता सूची जारी की गयी उसमें भी उनके पति का नाम क्रम संख्या 102 पर दर्ज था। 05 मार्च 1977 को प्रार्थीनी के पति का देहांत हो गया था।

अपने पति के देहान्त के उपरोक्त राधा प्यारी व्यास द्वारा नियमित रूप से पशु शल्य चिकित्सक की पारिवारिक पेंशन की मांग की गयी मगर विभाग द्वारा द्वारा उसे पशु शल्य चिकित्सक की पारिवारिक पेंशन ना देकर उसे पशु सहायक की पारिवारिक पेंशन दी गई। विभाग के इस कार्य से व्यथित होकर राधा प्यारी ने एक अपील राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण में पशु शल्य चिकित्सक की पारिवारिक पेंशन हेतु अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से प्रस्तुत की। अधिकरण ने अपील को ग्राह्य करते हुए 27 मार्च 2017 को उसे पशु शल्य चिकित्सक की पारिवारिक पेंशन देने का आदेश राधा प्यारी व्यास के पक्ष में पारित किया। अधिकरण के आदेश के विरूद्ध विभाग द्वारा उच्च न्यायालय अधिकरण के आदेश 27 मार्च 2017 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई उस रिट् याचिका को उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2018 में खारिज कर दिया गया।

रिट याचिका के खारिज होने के पश्चात् राधा प्यारी द्वारा एक अवमानना याचिका अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत की गयी। अधिकरण के समक्ष लगातार लगभग 30 बार केवल समय लेने आदेश दिनांक 27.03.2017 की पालना नहीं करने पर अधिकरण द्वारा अवमाना नियम 10 के तहत सजा के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष अवमाना याचिका संदर्भित की गई। उच्च न्यायालय में भी विभाग द्वारा केवल समय लिया गया उसे पशु शल्य चिकित्सक की पारिवारिक पेंशन प्रदान नहीं की गई। विभाग के इस तथ्य को उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए उक्त अवमानना याचिका में प्रसंज्ञान लेते हुए दिनांक 27.02.2025 को निर्देशक पशु पालन विभाग को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थिति होने का आदेश पारित किया एवं इस आदेश की प्रति राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को भेजने का आदेश भी पारित किया।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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