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राजस्थान हाईकोर्ट : मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण का निर्णय अपास्त करते हुए दावेदार की अपील मंजूर

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जोधपुर, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह व्यवस्था दी है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163ए के तहत वाहन मांग कर ले जाने मात्र से किसी को वाहन का मालिक नहीं माना जा सकता। हाईकोर्ट ने मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण का निर्णय अपास्त करते हुए दावेदार की अपील मंजूर कर ली। सामान्यत: बीमा कंपनियां किसी और व्यक्ति या संस्था का वाहन मांगकर ले जाने वाले व्यक्ति को वाहन मालिक के समान ही मानती हैं और ऐसे वाहनों से दुर्घटना में वाहन ले जाने वाले व्यक्ति को थर्ड पार्टी बीमा दावा का लाभ नहीं मिलता है।

हाईकोर्ट की न्यायाधीश डॉ. नूपुर भाटी ने अपने फैसले में बीमा कम्पनी के इस तर्क को विधिविरुद्ध माना। जस्टिस भाटी ने फैसले में कहा कि पैकेज्ड बीमा पॉलिसी में मोटर साइकिल का चालक चाहे वाहन चालक के पद पर नियुक्त नहीं हो तब भी बीमा कंपनी से मुआवजा पाने का हकदार है। अपीलार्थी की ओर से इस मामले में अधिवक्ता अनिल भंडारी ने पैरवी की।

क्या था मामला :

अपीलार्थी फैना देवी के अधिवक्ता अनिल भंडारी ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर बताया कि उनके पति मुकेश ट्रेडिंग का काम करने वाली फर्म में कार्यरत थे। फर्म के मालिक ने 19 मार्च 2015 को अपनी बीमित मोटर साइकिल से उन्हें किसी काम से भेजा था। इस दौरान मोटर साइकिल स्लिप हो जाने से उनकी मृत्यु हो गई। मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण, पाली ने दावा यह कहकर खारिज कर दिया कि बीमा कंपनी ने वाहन चालक का प्रीमियम नहीं लिया था और वाहन के स्वयं चलाने से वह धारा 163 ए के तहत वाहन मालिक की श्रेणी में आने से बीमा कंपनी मुआवजे के वास्ते दाई नहीं है। अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि मोटर बीमा पैकेज पॉलिसी के तहत वाहन चालक की जोखिम स्वत: ही आवरित है और कर्मचारी का चालक पद पर नियुक्त होना जरूरी नहीं है और न ही वह मालिक की श्रेणी में आता है। उन्होंने अधिकरण का निर्णय रद्द करने का अनुरोध किया। बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि वाहन मांग कर ले जाने से दुर्घटना के समय मृतक वाहन का मालिक हो गया है और उसकी जोखिम का कोई प्रीमियम नहीं लिया गया है।

न्यायाधीश डा नूपुर भाटी ने अपील मंजूर करते हुए अपने फैसले में कहा कि मृतक अपने मालिक के निर्देशानुसार वाहन चला रहा था और मोटर साइकिल की पैकेज्ड बीमा पॉलिसी होने से चालक की जोखिम उसमें निहित है। उन्होंने माना कि दुर्घटना के समय वाहन चलाने वाला ड्राइवर ही कहलाता है। लिहाजा बीमा कंपनी मुआवजे के वास्ते जवाबदेह और जिम्मेदार है। उन्होंने बीमा कंपनी के सभी तर्कों को खारिज कर दिया।

(Udaipur Kiran) / सतीश / संदीप

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