
जयपुर, 19 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं को रोकने और कोचिंग सेंटरों पर सख्त नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने विधानसभा में बुधवार को ‘राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन बिल 2025’ पेश किया है। इस बिल के तहत कोचिंग सेंटरों को कड़े नियमों का पालन करना होगा और छात्रों की सुरक्षा तथा मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाएगी। उप मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने बिल सदन में रखा। इस बिल को मौजूदा सत्र में ही बहस के बाद पारित करवाया जाएगा।
इस विधेयक के अनुसार, कोचिंग सेंटरों को अब मनमानी फीस वसूलने की अनुमति नहीं होगी। छात्र पूरे साल की फीस एकमुश्त देने के बजाय चार किस्तों में जमा कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त, यदि कोई छात्र कोर्स के बीच में कोचिंग छोड़ता है, तो उसे दस दिनों के भीतर शेष फीस लौटानी होगी। साथ ही यदि छात्र किसी हॉस्टल में रह रहा है तो बची हुई हॉस्टल फीस भी वापस करनी होगी। इसके अलावा, 50 या उससे अधिक छात्रों वाले कोचिंग सेंटरों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यदि कोई कोचिंग सेंटर इस नियम का पालन नहीं करता है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
अगर कोई कोचिंग सेंटर इस कानून का उल्लंघन करता है, तो उस पर 2 लाख से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। पहली बार नियम तोड़ने पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा, दूसरी बार उल्लंघन करने पर 5 लाख रुपये का जुर्माना और बार-बार नियम तोड़ने पर पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। यदि इसके बावजूद कोचिंग सेंटर निर्धारित दंड नहीं चुकाता है, तो उसकी संपत्ति जब्त कर जुर्माने की वसूली की जाएगी।
कोचिंग सेंटरों की निगरानी और नियंत्रण के लिए राजस्थान कोचिंग सेंटर प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। यह प्राधिकरण उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव की अध्यक्षता में कार्य करेगा। इस प्राधिकरण में स्कूल शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, मेडिकल एजुकेशन विभाग के सचिव, आईजी, कॉलेज शिक्षा आयुक्त, डीएलबी डायरेक्टर, एक मनोवैज्ञानिक, वित्त विभाग से एक नामित सचिव, कोचिंग सेंटर के दो प्रतिनिधि और अभिभावक समिति से दो सदस्य शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव को इस प्राधिकरण का सदस्य सचिव नियुक्त किया जाएगा।
छात्रों की शिकायतों के समाधान के लिए हर जिले में 24×7 हेल्पलाइन शुरू की जाएगी। इसके अलावा, जिला स्तर पर एक निगरानी समिति भी बनाई जाएगी, जो कोचिंग सेंटरों की गतिविधियों पर नजर रखेगी। इस समिति की अध्यक्षता जिला कलेक्टर करेंगे, जबकि एसपी, शहरी निकाय आयुक्त, सीएमएचओ, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक), कलेक्टर द्वारा नामित सदस्य और एडीएम (प्रशासन) इसके सदस्य होंगे। यह समिति कोचिंग सेंटरों के पंजीकरण और निरीक्षण का कार्य करेगी।
इस बिल के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी सरकारी स्कूल या कॉलेज का शिक्षक कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का कार्य नहीं कर सकेगा। यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी जिला स्तरीय समिति की होगी। यदि कोई कोचिंग सेंटर इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाएगी।
कोचिंग सेंटरों की बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी सख्त नियम बनाए गए हैं। प्रत्येक छात्र के लिए बैठने की जगह न्यूनतम एक वर्ग मीटर निर्धारित की गई है। बिल्डिंग को फायर सेफ्टी कोड और बिल्डिंग सिक्योरिटी कोड का पालन करना अनिवार्य होगा। प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट एड) किट और मेडिकल सहायता उपलब्ध होनी चाहिए। संपूर्ण बिल्डिंग में उचित विद्युत प्रबंधन (इलेक्ट्रिफिकेशन) अनिवार्य होगा।
बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि कोचिंग सेंटरों को छात्रों को नियमित रूप से काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करनी होगी। इसके लिए योग, ध्यान (मेडिटेशन) और मानसिक तनाव कम करने के लिए वर्कशॉप आयोजित करनी होंगी। जिला स्तरीय समिति समय-समय पर इन गतिविधियों की निगरानी करेगी।
इस विधेयक में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोचिंग सेंटर छात्रों से नोट्स और स्टडी मटेरियल के लिए अलग से कोई शुल्क नहीं वसूल सकेंगे। इसके अलावा, कोचिंग सेंटरों पर भ्रामक विज्ञापन और झूठे दावे करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यदि कोई कोचिंग सेंटर छात्रों को गुमराह करने वाले विज्ञापन देता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हर कोचिंग सेंटर को नियमित रूप से करियर काउंसलिंग सेमिनार और सत्र आयोजित करने होंगे। छात्रों को उनके करियर विकल्पों के बारे में जागरूक करने के लिए कोचिंग सेंटरों को विशेषज्ञों को बुलाकर गाइडेंस प्रोग्राम आयोजित करने होंगे।
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(Udaipur Kiran)
