Uttar Pradesh

सेप्सिस की त्वरित पहचान और शीघ्र उपचार जरूरी : डाॅ. वेद प्रकाश

(डॉ.) वेद प्रकाश

लखनऊ, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । सेप्सिस सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित कर सकता है। बुजुर्गों और नवजात शिशुओं में सेप्सिस होने पर मृत्यु दर भी अधिक होती है। जिसका प्रमुख कारण यह है कि इसमें रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) वेद प्रकाश ने दी।

डाॅ वेद प्रकाश ने बताया कि सेप्सिस की त्वरित पहचान और शीघ्र उपचार जरूरी है। सेप्सिस प्रमुखतः निमोनिया (फेफड़ाें में संक्रमण) मूत्र मार्ग में होने वाला संक्रमण या आपरेशन की जगह होने वाले संक्रमण की वजह से होता है। भारत में प्रतिवर्ष सेप्सिस से लगभग 1 करोड 10 लाख व्यक्ति ग्रसित होते हैं जिनमें लगभग 30 लाख व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।

एक हालिया अध्ययन से यह भी पता चला है कि भारत में आईसीयू के आधे से अधिक मरीज सेप्सिस से पीड़ित हैं और मल्टी-ड्रग-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण होने वाले सेप्सिस की व्यापकता चिंताजनक रूप से 45 प्रतिशत से भी अधिक है। एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में आई0सी0यू0 में आधे से अधिक मरीज सेप्सिस से पीड़ित है, और पिछले एक दशक में ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं। एक अध्ययन में देश भर के 35 आईसीयू से लिए गए 677 मरीजों में से 56 प्रतिशत से अधिक मरीजों में सेप्सिस पाया गया और इसमें अधिक चिंता की बात यह थी कि 45 प्रतिशत मामलों में, संक्रमण बहु-दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण हुआ था।

सेप्सिस को टीकाकरण और अच्छी देखभाल से रोका जा सकता है और शीघ्र पहचान और उपचार से सेप्सिस मृत्यु दर को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। ज्ञान की यह कमी सेप्सिस को दुनिया भर में मौत का नंबर एक रोकथाम योग्य कारण बनाती है। इस प्रेसवार्ता में केजीएमयू पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. आर.ए.एस कुशवाहा और डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन यादव

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