West Bengal

डीआइ को 20 हजार तो जॉइंट कन्वीनर को महज ढाई हजार रुपये मानदेय, उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के फैसले पर उठे सवाल

कोलकाता, 2 नवंबर (Udaipur Kiran) । उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 2025 के लिए पहली बार परीक्षा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को मानदेय (सन्मान राशि) देने का फैसला किया है। इस निर्णय के अनुसार, डिडिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर (डीआइ) को 20-20 हजार रुपये और जॉइंट कन्वीनर को ढाई-ढाई हजार रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। राशि में इस बड़े अंतर को लेकर कई संगठनों और पूर्व जॉइंट कन्वीनरों ने सवाल उठाए हैं।

इस बारे में पूर्व जॉइंट कन्वीनर संजय बड़ूआ ने कहा, डीआइ को इतनी बड़ी सन्मानिक राशि क्यों दी जा रही है, जबकि परीक्षा प्रबंधन में सबसे अधिक जिम्मेदारी जॉइंट कन्वीनरों की होती है। वे परीक्षा से एक महीने पहले से ही इसके सफल संचालन की पूरी जिम्मेदारी निभाते हैं। शिक्षा परिषद को इस मामले में गंभीरता दिखानी चाहिए थी।

शिक्षकों के एक हिस्से का मानना है कि उच्च माध्यमिक परीक्षा के दौरान हर जिले में केंद्रों की संख्या और उनकी योजना का काम मुख्य रूप से जॉइंट कन्वीनर करते हैं। वे परीक्षा संबंधी बैठकों का संचालन करते हैं और परीक्षा के दौरान किसी भी शिकायत के समाधान की जिम्मेदारी भी निभाते हैं।

उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष चिरंजीव भट्टाचार्य ने कहा, इससे पहले शिक्षा परिषद की ओर से कोई सन्मानिक नहीं दिया जाता था। इस बार हम इसे लागू कर रहे हैं। पहले केवल डीआइ को परीक्षा संबंधी खर्च के लिए राशि दी जाती थी। सभी संबंधित अधिकारियों की मेहनत का मान रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

परिषद द्वारा जारी नए निर्देश के अनुसार, जॉइंट कन्वीनर के अधीन कार्यरत डीएसी को 1500 रुपये, केंद्रों पर तैनात काउंसिल नामिनी को 600 रुपये, सेंटर इंचार्ज को 1500 रुपये और वेन्यू सुपरवाइजर को 1500 रुपये मिलेंगे। प्रश्न पत्रों का प्रबंधन करने वाले कर्मचारियों को 700 रुपये की सन्मानिक राशि दी जाएगी।

वहीं, शिक्षक संगठनों के अनुसार परीक्षा में सबसे ज्यादा जिम्मेदारी निभाने वाले इनविजिलेटर, परीक्षक और प्रमुख परीक्षकों के मेहनताने में तुरंत वृद्धि की जानी चाहिए। बंगीय शिक्षक एवं शिक्षाकर्मी संघ के महासचिव स्वपन मंडल ने कहा, जिनका मेहनताना बढ़ाया गया है, वे सरकार द्वारा नियुक्त या निकटवर्ती हैं, लेकिन जो कर्मचारी पूरी मेहनत से परीक्षा का संचालन करते हैं, उनकी पारिश्रमिक में वृद्धि की दिशा में परिषद का कोई प्रयास नहीं दिख रहा है। हम इनविजिलेटर, परीक्षक, मुख्य परीक्षक और निरीक्षकों के मेहनताने में वृद्धि की मांग करते हैं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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