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गुवाहाटी, 31 जनवरी (Udaipur Kiran) । पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) अपने बिजलीकरण मिशन में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। इसका लक्ष्य सतत विकास के प्रति प्रतिबद्ध भारतीय रेल को पूर्ण विद्युतीकृत और जीरो-कार्बन रेल नेटवर्क बनाना है। दिसंबर, 2024 तक, पूसीरे ने लगभग 2,828 रूट किलोमीटर (आरकेएम) का सफलतापूर्वक बिजलीकरण किया है, जो क्षेत्र में लगभग 70 प्रतिशत बिजलीकरण कार्यों की पर्याप्त प्रगति को दर्शाता है। इसका उद्देश्य पूसीरे के रेल नेटवर्क में कार्बन उत्सर्जन को कम करना और परिचालनिक दक्षता को बढ़ाना है।
पूसीरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने आज एक बयान में बताया है कि अतिरिक्त सेक्शनों में इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन को चालू करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति हुई है। पूसीरे के दो सेक्शनों पर इलेक्ट्रिक लोको का सफल ट्रायल किया गया। 29 जनवरी, 2025 को लमडिंग मंडल में अगरतला-सबरूम सेक्शन (112.91 आरकेएम) के बीच तथा 30 और 31 जनवरी को अलीपुरद्वार मंडल में न्यू कोचबिहार-बामनहाट सेक्शन (49.81 आरकेएम) के बीच सफल परीक्षण किया गया। दोनों परीक्षण अधिकतम सेक्शनल स्पीड पर किए गए। ये परीक्षण इलेक्ट्रिक लोकोमोशन में परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण हैं, जो अगले कुछ महीनों के भीतर इस सेक्शन में बिजली से चलने वाले ट्रेनों के परिचालन को सुविधा प्रदान करेंगे। इससे इस क्षेत्र में तेज़, अधिक कुशल और पर्यावरण अनुकूल ट्रेन परिचालन सुनिश्चित होगा।
पूसीरे में चल रहा बिजलीकरण अभियान देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की रेल कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। रेलवे बिजलीकरण की तीव्र प्रगति का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना, ट्रेन की गति में सुधार लाना, परिचालन लागत को कम करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी कर कार्बन मुक्त रेलवे नेटवर्क हासिल करना है। इस प्रगति के साथ, पूसीरे परिवहन प्रणाली में एक हरित, अधिक टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
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