
गुवाहाटी, 07 जून (Udaipur Kiran) । असम में अवैध प्रवासियों की पहचान और निष्कासन की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों के बाद राज्य सरकार पुशबैक नीति को फिर से शुरू करने जा रही है।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए पर संविधान पीठ की सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने पुराने कानूनी प्रावधानों की समीक्षा की है।
मुख्यमंत्री डॉ सरमा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि असम सरकार को हर बार विदेशियों की पहचान या निष्कासन के लिए अदालत की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। 1950 का एक पुराना आदेश ‘इमीग्रेंट्स (एक्सपल्शन फ्रॉम असम) ऑर्डर’ अब भी लागू है।”
उनके अनुसार, इस आदेश के तहत जिला आयुक्तों को सीधे निष्कासन आदेश जारी करने का अधिकार है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें नहीं पता कि हमारे कानूनी सलाहकारों ने इस पहलू की जानकारी पहले क्यों नहीं दी।”
इस नए कानूनी आधार के साथ, राज्य सरकार अब विदेशी नागरिकों की पहचान और निष्कासन की प्रक्रिया को फिर से गति देगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब सभी मामलों को ट्रिब्यूनल में भेजना ज़रूरी नहीं होगा। उन्होंने कहा, “जिन मामलों में अदालत में सुनवाई नहीं चल रही है, वहां पर सीधे तौर पर बार-बार पुशबैक किए जाएंगे।”
उन्होंने बताया कि इस नई रणनीति की तैयारी पिछले कुछ दिनों से चल रही है और कुछ मामलों में पहले ही पुशबैक हो चुके हैं। जैसे-जैसे संदिग्ध विदेशी नागरिकों की सूची लंबी होती जा रही है, निष्कासन की कार्रवाई भी तेज की जाएगी।
एनआरसी से जुड़ी जटिलताओं के कारण बीते कुछ वर्षों में यह प्रक्रिया धीमी पड़ी थी, लेकिन अब सरकार इसे फिर से प्राथमिकता में लाने जा रही है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
