भुवनेश्वर, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) पवित्र बाहुडा (वापसी) यात्रा के अवसर पर ‘जय जगन्नाथ’ के जयघोष और झांझ-मृदंग एवं घंटियों की ध्वनि के बीच महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा आज अपने-अपने रथों पर सवार होकर श्रीगुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर की ओर लौटना शुरू हो गए हैं।
अपने जन्मवेदी श्रीगुंडिचा मंदिर में रहने के बाद नौवें दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा श्रीमंदिर लौटे। बाहुडा यात्रा में शामिल होने के लिए राज्य से तथा देश विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचे थे।
सुबह इस यात्रा के लिए रीति नीति प्रारंभ हो गया था। सुबह चार बजे मंगल आरती के साथ अन्य नीति संपादित की गई। इसके बाद गोपाल बल्लभ एवं खिचड़ी भोग नीति हुई। इसके बाद चतुर्धा मुर्तियों की पहंडी बिजे की नीति शुरू हुई। सबसे पहले सुदर्शनजी की पहंडी शुरू हुआ।इसके पश्चात बाद भगवान बलभद्र को पहंडी के जरिये तालध्वज रथ में लाया गया। बाद में माता सुभद्रा को पहंडी के जरिये दर्पदलन में लाया गया। सबसे अंत में जगन्नाथ जी पहंडी के जरिये नंदीघोष रथ में विराजमान हुए। इस दौरान चारों और हरि बोल व जय जगन्नाथ की ध्वनी गूंज रहा था।
पुरी के गजपति महाराज ने तीनों रथ पर छेरा पहँरा की नीति संपादित की। इसके बाद तीनों रथों को खिंचने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। हालांकि चार बजे से रथों को खिंचने की प्रक्रिया शुरू करने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया था। समय पर सारे अनुष्ठान समाप्त होने के कारण चार बजे से पहले ही रथों का खिंचना प्रारभ हो गया। सबसे पहले भगवान बलभद्र के रथ को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद माता सुभद्रा का रथ दर्पदलन व अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ नंदिघोष के खिंचने की प्रक्रिया हुई।
प्रशासन ने बाहुडा यात्रा को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए व्यापक इंतजाम किए थे और सुरक्षा उपाय किए गए थे। यात्रा के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि बाहुडा यात्रा के लिए 180 प्लाटून पुलिस बल तैनात किए गए हैं। आरएएफ की तीन कंपनियों के अलावा सीआरपीएफ की दो कंपनियां तैनात की गई हैं। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की आठ टीमों की तैनात है। पूरा शहर सीसीटीवी कैमरों की जद में है और एआई भी अच्छे से काम कर रहा है।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय / प्रभात मिश्रा