
जयपुर, 7 मार्च (Udaipur Kiran) । सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि राज्य की क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के लाभ में रहने पर नियमानुसार कर्मचारियों को वेतनमान का लाभ दिया जा सकता है।
सहकारी समितियां स्वायत्तशासी संस्थाएं हैं। इनमें सहकारी भर्ती बोर्ड के माध्यम से भर्तियां की जाती है तथा इनके अपने सेवा नियम हैं। क्रय विक्रय सहकारी समितियों में विभिन्न वेतनमान लागू हैं।
सहकारिता राज्यमंत्री प्रश्नकाल में पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि समिति के स्थाई कर्मचारियों को वेतनमान का लाभ देने के लिए समितियों द्वारा कुछ शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है। जैसे समिति द्वारा गत तीन वर्षों में लाभ अर्जित किया गया हो, सदस्यों को नियमानुसार लाभांश का भुगतान किया गया हो तथा गठित कोषों में समिति द्वारा आवश्यक विनिधान कर दिया गया हो, कर्मचारियों को वेतनमान का लाभ दिए जाने के बाद भी संस्था हानि की स्थिति में न आये, समिति आगामी वर्षों में अपना व्यवसाय इस प्रकार बढ़ाए कि व्यवसाय में होने वाले लाभ इस व्यय के लिए पर्याप्त हो, इसके अतिरिक्त समिति द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि यह वेतन संबंधी लाभ दिए जाने के बाद वेतन एवं प्रशासनिक व्यय वर्ष के सकल लाभ के 50 फीसदी से अधिक न हो।
उन्होंने कहा कि इन शर्तों को पूरा करने के बाद प्रशासनिक स्वीकृति लेकर समितियों के स्थायी कर्मचारियों को वेतनमान का लाभ दिया जा सकता है।
विधायक गीता बरवड़ के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में सहकारिता राज्यमंत्री ने बताया कि क्रय विक्रय सहकारी समितियों में राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड के माध्यम से चयनित कार्मिकों को संतोषप्रद परिवीक्षाकाल पूर्ण करने के उपरांत संबंधित समिति में लागू वेतनमान के अनुसार वेतन दिया जाता है। उन्होंने बताया कि राज्य की क्रय विक्रय सहकारी समितियों में समान रूप से वेतनमान लागू नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / रोहित
