Uttar Pradesh

पं बालकृष्ण की साहित्य सर्जना ने हिन्दी को एक समर्थ शैली प्रदान की : देवेन्द्र प्रताप सिंह

माल्यार्पण करते

–हिन्दुस्तानी एकेडेमी में विचार गोष्ठी का आयोजन

प्रयागराज, 03 जून (Udaipur Kiran) । हिन्दुस्तानी एकेडेमी के तत्वावधान में पं0 बालकृष्ण भट्ट के जन्म दिवस पर मंगलवार को एकेडेमी परिसर में आधुनिक हिन्दी गद्य के निर्माता पं0 बालकृष्ण भट्ट की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं विचार गाेष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर एकेडेमी के सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि ‘बालकृष्ण भट्ट एक पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार और निबंधकार थे। उनकी साहित्य सर्जना ने हिन्दी को एक समर्थ शैली प्रदान की। वे पहले ऐसे निबंधकार थे, जिन्होंने आत्मपरक शैली का प्रयोग किया। उन्होंने 32 वर्ष तक हिन्दी प्रदीप का सम्पादन भी किया। भारतेन्दु हरिश्चंद्र की प्रेरणा से उन्होंने 1877 में हिन्दी वर्धिनी सभा की स्थापना की।

इस अवसर पर एकेडेमी के प्रशासनिक अधिकारी गोपालजी पाण्डेय ने कहा कि बालकृष्ण भट्ट का समय ऐसा समय है जब किसी का नेतृत्व नहीं दिखाई पड़ता। पर उस समय का नेतृत्व बालकृष्ण भट्ट ने ही किया है। पं. बालकृष्ण भट्ट जब ब्रजभाषा का समय था उस समय खड़ी बोली गद्य को आगे बढ़ा रहे थे। इस अवसर पर रतन पाण्डेय, संतोष कुमार तिवारी, अंकेश कुमार श्रीवास्तव, सुनील कुमार, मोहसीन खान, अमित कुमार सिंह एवं समस्त एकेडेमी परिवार के साथ शहर के अन्य रचनाकार एवं शोध छात्र उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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