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इंजेक्टिंग ड्रग यूजर्स के लिए साइकियाट्रिक उपचार और काउंसलिंग जरूरी : राजीव कुमार

शिमला, 16 मार्च (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति की मासिक बैठक रविवार को परियोजना निदेशक राजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में राज्य में इंजेक्टिंग ड्रग्स के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की गई और इसके रोकथाम के लिए गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई।

राजीव कुमार ने कहा कि नशे की लत से जूझ रहे लोगों को सही उपचार और परामर्श की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) इंजेक्टिंग ड्रग्स का सेवन करने वाले व्यक्तियों को नियमित रूप से साइकियाट्रिक विभाग में रेफर करें, ताकि उनका समुचित इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि राज्य के प्रत्येक जिले में साइकियाट्रिक विभाग कार्यरत हैं, जहां इस समस्या से जूझ रहे मरीजों की काउंसलिंग और थेरेपी के माध्यम से सहायता की जा रही है।

परियोजना निदेशक ने कहा कि मनोवैज्ञानिक परामर्श से नशे की लत से जूझ रहे लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आता है। काउंसलिंग और थेरेपी के माध्यम से उनकी ड्रग्स पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब मरीज आत्मविश्वास महसूस करता है तो वह सामान्य जीवन की ओर लौटने के लिए प्रेरित होता है।

राजीव कुमार ने सभी गैर-सरकारी संगठनों को निर्देश दिए कि वे सप्ताह में कम से कम पांच इंजेक्टिंग ड्रग यूजर्स को साइकियाट्रिक विभाग में रेफर करें। उन्होंने यह भी कहा कि एनजीओ का स्टाफ मरीजों के साथ रहे और उनके स्वास्थ्य पर निरंतर निगरानी सुनिश्चित करे।

उन्होंने गैर-सरकारी संगठनों और साइकियाट्रिक विभाग के बीच समन्वय को आवश्यक बताते हुए कहा कि यह प्रयास इंजेक्टिंग ड्रग्स का सेवन करने वालों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। उन्होंने आशा जताई कि इन समन्वित प्रयासों से राज्य में नशे की समस्या को नियंत्रित करने में सफलता मिलेगी।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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