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मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के प्रावधान आरोपितों को हमेशा के लिए कैद में रखने का साधन नहीं हो सकतेः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 12 फ़रवरी (Udaipur Kiran) ।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मनी लाऊंड्रिंग कानून के प्रावधानों का उपयोग किसी आरोपी को हमेशा के लिए जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को जमानत देते हुए कहा कि मनी लाऊंड्रिंग कानून का भी दहेज कानून की ही तरह गलत इस्तेमाल हो रहा है।

कोर्ट ने ईडी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब हाईकोर्ट ने त्रिपाठी के खिलाफ सेशंस कोर्ट के द्वारा संज्ञान लेने के फैसले को रद्द कर दिया था तो उसके बावजूद उन्हें जेल में रखने का क्या औचित्य है। दरअसल छत्तीसगढ़ में हुए कथित शराब घोटाले के आरोपी और पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी ने जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसके पहले भी कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी अनिल टूटेजा के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग मामले में गिरफ्तार करने के ईडी के तौर-तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने ने ईडी को निर्देश दिया था कि वो मनी लाउंड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत आरोपी के बयान दर्ज करने को लेकर आंतरिक दिशानिर्देश जारी करें कि बयान देर रात दर्ज नहीं किए जाएं और वे दिन में ही कार्यालयों के समय के मुताबिक दर्ज किए जाएं।

(Udaipur Kiran) / संजय

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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

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