Jammu & Kashmir

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कठुआ के खिलाफ प्रदर्शन, कहा मात्र एनओसी देने तक ही सीमित

Protest against pollution control board kathua

कॉमन एनफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और वायु निगरानी उपकरण की नहीं दी कोई जानकारी

कठुआ 26 नवंबर (Udaipur Kiran) । जिला सचिवालय से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित एकमात्र रेलवे रोड से सटी औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी और दूषित हवा से परेशान रेलवे रोड के स्थानीय लोगों और दुकानदारों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कठुआ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और उन्हें कुंभकर्णी नींद से जागने का प्रयास किया।

कठुआ के एकमात्र रेलवे रोड से सेट औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी से नालियां ब्लॉक हो चुकी है जिसकी वजह से औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला जहरीला पानी सड़क के बीचो-बीच बह रहा है। जिसके चलते रेलवे रोड के दुकानदारों और स्थानीय लोगों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से दूषित हवा और गंदे पानी की वजह से क्षेत्र में आए दिन लोग बीमार हो रहे हैं, अब लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो गया है, विशेष तौर पर बुजुर्ग और बच्चों को कई बीमारियों ने जकड़ रखा है। उन्होंने बताया कि रेलवे रोड से सटे नाले में औद्योगिक इकाइयों का गंदा पानी बहता है जबकि सभी औद्योगिक इकाइयों को कॉमन एनफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करना होता है। जोकि सिर्फ सीटीएम ने स्थापित कर रखा है। कॉमन एनफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट प्रक्रिया के अनुसार औद्योगिक इकाइयों का निकलने वाला गंदा पानी औद्योगिक इकाई परिसर में जमा किया जाता है जिसके बाद कॉमन एनफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से गंदे पानी को साफ कर बाद में नालियों में छोड़ा जाता है। लेकिन रेलवे रोड से सटी कोहिनूर, गत्ता फैक्ट्री पेस्टिसाइड फैक्ट्रियां रात के अंधेरे में या थोड़ी सी बारिश होने की आड़ में पूरा गंदा जहरीला पानी नालों में छोड़ देते हैं और कई बार नाले ब्लॉक होने की वजह से गंदा पानी सड़क के बीचो-बीच बहाना शुरू हो जाता है और लोगों के घरों और दुकानदारों के आगे गंदा पानी इकट्ठा हो जाता है, जिससे आए दिन स्थानीय लोग और दुकानदार बीमार हो रहे हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कठुआ के अधिकारियों पर मिली भगत के आरोप लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने बताया कि से संबंधित विभाग मात्र एनओसी जारी करने तक ही सीमित है। स्थानीय लोगों ने सरकार से अपील की है की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कठुआ में कुछ कर्मचारी पिछले कई वर्षों से एक ही जगह पर तैनात हैं उनकी जांच होनी चाहिए और उनसे पूछा जाए कि किन-किन इकाइयों ने कॉमन एनफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए हैं और महीने में कितनी बार इकाईयों के कॉमन एनफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट की जांच की जाती है। वही जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कठुआ के अधिकारियों से बात की तो पहले तो उन्होंने साफ तौर पर बात करने से मना कर दिया। जब उनसे पूछा गया की कितनी इकाइयां हैं कॉमन एनफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हुए हैं तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। उनका कहना था कि यह जानकारी हम मीडिया के साथ शेयर नहीं कर सकते हैं इसके लिए उन्हें डायरेक्टर पॉल्यूशन बोर्ड से संपर्क करना होगा। वही जब अधिकारियों से वायु निगरानी उपकरण जोकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कठुआ कार्यालय और डीएफओ कार्यालय में भी स्थापित किया गया है, उसकी रीडिंग मांगी गई तो उन्होंने रीडिंग देने से साफ इनकार कर दिया। आखिर क्या कारण है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे छुपाना चाहता है।

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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया

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