जोधपुर, 29 जनवरी (Udaipur Kiran) । स्मॉल फाइनेंस बैंक, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक को राजस्थान हाई कोर्ट से एक ऐतिहासिक और अनुकूल आदेश प्राप्त हुआ है। यह मामला उस संपत्ति से संबंधित है जो कानूनी रूप से बैंक के कब्जे में थी, लेकिन कर्जदार ने अवैध तरीकों और बल प्रयोग (अतिक्रमण और ताला तोडक़र) के माध्यम से जबरन हड़प ली थी। राजस्थान हाई कोर्ट ने एयू एसएफबी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रतिवादी को बैंक को गिरवी रखी गई संपत्ति का कब्जा बहाल करने का निर्देश दिया है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने श्री गंगानगर के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को संपत्ति को जबरन हड़पने के लिए प्रतिवादी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, अदालत ने राज्य के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि ऐसी स्थितियों में कार्रवाई न करने से राज्य में अराजकता फैल सकती है।
यह ऐतिहासिक आदेश राजस्थान और अन्य राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल है, जो कानून के शासन को बनाए रखने और वित्तीय संस्थानों के अधिकारों की रक्षा करने के महत्व पर जोर देता है, खासकर कब्जे की संपत्ति का ताला तोडऩे के मामलों में अदालत ने अपने फैसले में कहा, यह आश्चर्यजनक है कि एक तरफ एक व्यक्ति ने ऋण लिया और जब उसे चुकाया नहीं गया, तो गिरवी रखी गई संपत्ति का कब्जा वैधानिक रूप से याचिकाकर्ता बैंक ने ले लिया। लेकिन केवल बल प्रयोग के माध्यम से याचिकाकर्ता बैंक के कब्जे को हटा दिया गया और गिरवी रखी गई संपत्ति का कब्जा प्रतिवादी नंबर 1 (आत्माराम बिश्नोई) ने जबरन ले लिया। कानून लागू करने वाले अधिकारी को इसकी सूचना दी गई, लेकिन आज तक कानून की गरिमा को बहाल करने के लिए कुछ नहीं किया गया।
अदालत ने आगे यह भी यह स्थिति चिंताजनक है, और राज्य के अधिकारियों को चेतावनी दी जाती है कि यदि वे ऐसी स्थिति में कार्रवाई नहीं करते हैं, तो इससे राजस्थान राज्य में अराजकता फैल सकती है, जिसे इस अदालत की ओर से बहुत गंभीरता से देखा जाएगा। इसलिए, इस अदालत का मानना है कि गिरवी रखी गई संपत्ति पर याचिकाकर्ता का कब्जा तुरंत बहाल करने के लिए प्रतिवादी नंबर 1 (आत्माराम बिश्नोई) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
(Udaipur Kiran) / सतीश