गुवाहाटी, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । अधिवक्ता एसएन भुइयां की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर श्रीमंत शंकरदेव, कलाक्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय सभागार में उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 3 अगस्त को उनकी स्मृति में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान दो विषयों ‘कानूनी परंपरा और विद्वान’ पर परिचर्चा आयोजित की जाएगी।
गौरतलब है कि एसएन भुइयां मेमोरियल फाउंडेशन ने अधिवक्ता सुरेंद्र नाथ भुइयां की जन्म शताब्दी पर उनकी स्मृति में परिचर्चा का आयोजन किया गया है। इसके मद्देनजर आज मालीगांव स्थित स्वागत हॉस्पिटल में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया।
स्वर्गीय भुइयां के पुत्र जस्टिस उज्ज्वल भुइयां, सुभाष खन्ना सहित कई गणमान्य लोग संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित थे। जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने बताया कि समारोह शाम साढ़े चार बजे शुरू होगा। इस कार्यक्रम में दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक, राजस्थान, मेघालय त्रिपुरा, मद्रास, कोलकत्ता, टेलेंगना, पटना, इलाहवाद, केरल, आंध्र प्रदेश तथा देश भर से प्रख्यात न्यायविद्, वकील, पूर्व जज उपस्थित रहेंगे।
परिचर्चा में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बीआर गाभा अपने विचार व्यक्त करेंगे। उन्होंने भारतीय संविधान के 75 वर्ष: डॉ. अंबेडकर का दृष्टिकोण और सामाजिक न्याय,पर अपनी बातें रखेंगे। वे भारतीय संविधान को आकार देने वाले स्थायी सिद्धांतों पर स्पष्टीकरण देंगे और सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण समाज की कल्पना करने में अंबेडकर की भूमिका के बारे में विस्तार से बताएंगे।गौरतलब है कि दिवंगत अधिवक्ता सुरेंद्र नाथ भुइयां का जीवन दृढ़ता, बौद्धिक शक्ति और न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। 1924 में नगांव जिले के कामपुर इलाके के एक दूरदराज गांव नारिकली में जन्मे भुइयां की शुरुआती पढ़ाई से लेकर कानूनी योग्यता तक का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उनकी शिक्षा कॉटन कॉलेज और गुवाहाटी विश्वविद्यालय में हुई। उनके असाधारण व्यक्तित्व कौशल ने नेताओं को प्रेरित किया और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
सुचेंद्र नाथ भुइयां की मृत्यु ने एक युग का अंत कर दिया, फिर भी उनके उत्तराधिकारियों ने उनकी मानवीय भावना और मूल्यों को बनाए रखने के लिए भुइयां मेमोरियल फाउंडेशन की स्थापना की।
फाउंडेशन के द्वारा प्रमुख हस्तियों को प्रासंगिक सामाजिक मुद्दों पर बोलने के लिए आमंत्रित किया जाता हैं।
(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर / अरविन्द राय