मंडी, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी की अकादमिक परिषद की पहली बैठक कुलपति प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से ही विभिन्न कारणों से अकादमिक परिषद का गठन नहीं हो सका था, जिसके कारण विभिन्न शैक्षणिक मुद्दे लंबित थे। कुलपति का पदभार संभालने के बाद प्रोफेसर अवस्थी ने 16 सदस्यीय अकादमिक परिषद का गठन किया। जिसकी पहली बैठक शनिवार को आयोजित की गई।
यह बैठक विश्वविद्यालय के अकादमिक प्रशासन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई, जिसमें संस्थान के भविष्य को आकार देने वाले महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए मंच तैयार किया गया। कुलपति ने सभी परिषद सदस्यों का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए सत्र की शुरुआत की। जिसमें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक मानकों और संस्थागत लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में सहयोगी प्रयास के महत्व पर जोर दिया गया। बैठक में सरदार पटेल विश्वविद्यालय में शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समर्पित डीन, कॉलेज प्रिंसिपल और संकाय प्रतिनिधियों का एक विविध समूह एक साथ आया।
इस अवसर पर प्रो. अवस्थी ने कहा कि यह अकादमिक परिषद केवल एक नियामक निकाय नहीं है, बल्कि एक थिंक टैंक है जो हमारे अकादमिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा। यहां हमारे सामूहिक प्रयास अकादमिक उत्कृष्टता का मार्ग प्रशस्त करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे छात्रों को उच्चतम गुणवत्ता की शिक्षा मिले। प्रो. ललित अवस्थी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नई शिक्षा नीति 2020 के सभी पहलुओं के कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया। जो लचीले पाठ्यक्रम का मार्ग प्रशस्त करेगा और शिक्षार्थियों को स्वतंत्रता देगा और साथ ही उन्हें कौशल आधारित पाठ्यक्रम लेने की अनुमति देगा जो उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाएगा।
कुलपति ने ऐसे पाठ्यक्रम प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई जो न केवल विश्वविद्यालय के छात्रों बल्कि संबद्ध कॉलेजों के छात्रों की भी रोजगार क्षमता बढ़ाएंगे। बैठक में चर्चा की गई कि छात्रों को न केवल रोजगार पाने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें जोखिम उठाने और अपना खुद का उद्यम शुरू करने के लिए भी सिखाया जाना चाहिए, जो उन्हें नौकरी प्रदाता बना देगा।
प्रो. अवस्थी ने छात्रों को हिमाचल और भारत में बड़े पैमाने पर होने वाली समस्याओं से अवगत कराने और अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान खोजने के लिए पाठ्यक्रम में समुदाय आधारित इंटर्नशिप को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बैठक में मुख्य रूप से विश्वविद्यालय परिसर और संबद्ध महाविद्यालयों में नए स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कोई भी नया पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव शैक्षणिक सत्र शुरू होने से कम से कम छह माह पहले विश्वविद्यालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। 12 सितंबर को होने वाले प्रथम दीक्षांत समारोह के लिए ड्रेस कोड और मेडल के साथ.साथ विद्यार्थियों की सूची को भी अकादमिक परिषद में मंजूरी दी गई। बैठक में जूलॉजी में पीएचडी कोर्स वर्क के पाठ्यक्रमए एमएससी केमिस्ट्रीए इंडस्ट्रियल केमिस्ट्रीए एमबीएए बीएससी.एमएससी इंटीग्रेटेड फिजिक्सए एमसीए और पीएचडी कोर्स वर्क में सामान्य पाठ्यक्रमों के लिए समान पाठ्यक्रम की भी समीक्षा की गई और उसे मंजूरी दी गई।
परिषद ने अगले शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालय में स्व.वित्तपोषित मोड में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में बीटेक पाठ्यक्रम शुरू करने को भी मंजूरी दी। बैठक में अनुमोदित अन्य मदों में परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के भीतर छात्रों को ऑनलाइन आवेदन पत्र के माध्यम से मूल्यांकित उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी फीस के साथ उपलब्ध कराना शामिल है। विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने विश्वविद्यालय को उसके सभी शैक्षणिक और सह.पाठ्यचर्या संबंधी मामलों में अपना पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।
प्राचार्यों ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को अपना स्वयं का सांस्कृतिक उत्सव और खेल कैलेंडर शुरू करना चाहिए। बैठक में प्रो. अनुपमा सिंह प्रति कुलपति, इं. सुनील वर्मा रजिस्ट्रार, प्रो. राजेश कुमार डीन भौतिक विज्ञान, डॉ. करण गुप्ता डीन शैक्षणिक मामले, डॉ. मंदीप शर्मा प्रिंसिपल राजकीय महाविद्यालय कुल्लू, डॉ. सुजाता प्रिंसिपल राजकीय महाविद्यालय सैंज, डॉ. सुरीना शर्मा प्रिंसिपल वीजीसी मंडी, डॉ. रिखी राम कौंडल प्रिंसिपल राजकीय महाविद्यालय सरकाघाट, डा. सनील ठाकुर डीन जीवन विज्ञान, डॉ. पवन चंद डीन प्रबंधन, डॉ. अक्षय कुमार, डॉ. लखवीर, डॉ. गौरव कपूर, डॉ. नरिंदर सिंह, डॉ. हितेश और डॉ. राजेश उपस्थित थे।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा शुक्ला