—परिसर में तीन ब्लाकों में कार्य विभाजित, जैविक कचरे को एकत्र करने के लिए खाद के गड्ढे बने
वाराणसी,04 नवम्बर (Udaipur Kiran) । काशी हिंदू विश्वविद्यालय(बीएचयू) परिसर में सोमवार से घर-घर कचरा संग्रहण अभियान की शुरुआत हुई। विश्वविद्यालय के सफाई और सहायक सेवाएं इकाई की ओर से आयोजित अभियान में परिसर को तीन ब्लॉकों में रणनीतिक रूप से विभाजित किया गया है। इसमें आवासीय क्षेत्र, छात्रावास और शैक्षणिक,प्रशासनिक भवन है। आवासीय क्षेत्रों को 15 क्षेत्रों में और विभाजित किया गया है। प्रत्येक को कचरा संग्रहण के लिए एक तिपहिया वाहन आवंटित किया गया है। ये तिपहिया वाहन प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिदिन सुबह 10 बजे तक घरेलू कचरा संग्रहण के लिए जाएंगे। एकत्रित कचरे को फिर एक ट्रिपर वाहन में स्थानांतरित किया जाएगा, जो इसे नए बीएचयू प्रेस में डंपिंग यार्ड में ले जाएगा। वहां से इसे वाराणसी के करसड़ा प्लांट में भेजा जाएगा।
इकाई के प्रभारी प्रो. सरफराज आलम ने बताया कि परिसर में विभिन्न स्थानों पर जैविक कचरे को एकत्र करने के लिए खाद के गड्ढे बनाए गए हैं। जो घरेलू, छात्रावास और कैंटीन से जैविक कचरे को इकट्ठा करते हैं, ताकि खाद निर्माण की प्रक्रिया में आसानी रहे। उन्होंने बताया कि घर-घर जाकर कचरा संग्रहण अभियान स्रोत पर ही कचरे के व्यवस्थित पृथक्करण को बढ़ावा देता है। सभी कैंपस निवासियों और कार्यालय प्रमुखों (संस्थान/फैकल्टी/यूनिट/विभाग/छात्रावास/स्कूल) से अनुरोध किया गया है कि वे तीन अलग-अलग बिनों का उपयोग करें। इसमें हरा बिन जैविक कचरे के लिए (जिसमें खाद निर्माण के लिए खाद्य और सब्जी का कचरा शामिल है), नीला बिन गैर-जैविक कचरे के लिए (जैसे पॉलीथीन, प्लास्टिक, और कांच) और लाल बिन हानिकारक कचरे के लिए (जिसमें स्प्रे, पेंट, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, कीटनाशक, सिरिंज, दवाएं, और सैनिटरी नैपकिन शामिल हैं)। उन्होंने बताया कि इस अभियान को सशक्त बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने महत्वपूर्ण संसाधनों का प्रबंधन किया है। जिसमें 19 ट्राइसाइकिल, 4 टाटा एस वाहन, एक ट्रैक्टर-ट्रेलर, 1 कम्पेक्टर वाहन और 1 एस्कॉर्ट (जेसीबी) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, कचरा संग्रहण क्षमता बढ़ाने के लिए 5 और ट्राइसाइकिलें खरीदी जा रही हैं। विश्वविद्यालय में स्वच्छता और कचरा प्रबंधन में सुधार के लिए एक फॉगिंग मशीन और एक सैनिटरी इंसीनरेटर भी उपलब्ध कराने की प्रक्रिया चल रही है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी