HimachalPradesh

प्रो. नारायण सिंह राव ने मलेशिया में सांस्कृतिक मूल्यों व विरासत की जीवंतता पर प्रस्तुत किया शोध पत्र

अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के दौरान सीयू के प्रोफेसर।

धर्मशाला, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर और भारतीय पंथ मत सम्प्रदाय एवं समेटिक अध्ययन केंद्र के निदेशक, प्रो. नारायण सिंह राव ने हाल ही में मलेशिया के कुआलालामपुर स्थित मलाया विश्वविद्यालय में आयोजित 10वीं अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उन्होंने माइग्रेशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन डायस्पोरा कम्युनिटीज इन इंडिया: ए स्टडी ऑफ द साउथ ईस्ट एशियन कल्चर एंड रिलिजन इन इंडियाज़ नॉर्थ ईस्ट शीर्षक पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।

अपने शोध पत्र में प्रो. राव ने दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया से भारत की ओर पलायन कर आए विभिन्न समुदायों जैसे टूटसा, तागेसा, खामती, सिंगोफो, ताई-फाके, लोंगचांग और मोसांग आदि के भारत में बसने, उनकी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना के पोषण तथा उनके योगदान पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने इन समुदायों के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में उनके सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभावों पर विचार मंथन किया।

प्रो. राव का यह शोध पत्र सत्राध्यक्ष और वरिष्ठ विद्वानों द्वारा सराहा गया और उनके शोध पत्र के प्रकाशन की भी अनुशंसा की गई। इस अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में 18 देशों के करीब 150 विद्वानों और इतिहासकारों ने भाग लिया।

इस दौरा, प्रो. नारायण सिंह राव ने इंडोनेशिया के बाली स्थित महासरस्वती विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रो. इमादे सुकामेरता और समजोता सहयोग विभाग के प्रमुख प्रो. इकोयांग बुद्धियारता के साथ बैठक की। इस बैठक में दोनों विश्वविद्यालयों के बीच संयुक्त शोध और अनुसंधान परियोजनाओं, सेमिनारों और कॉन्फ्रेंस के आयोजन, साथ ही शिक्षक-छात्र एक्सचेंज कार्यक्रमों के लिए सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई।

प्रो. राव ने इस अवसर पर दोनों संस्थानों के बीच हिंदू अध्ययन केंद्र के गठन और समजोता सहयोग के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव भी रखा। इस प्रयास से भारत और इंडोनेशिया के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की उम्मीद जताई जा रही है।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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