गोरखपुर, 27 सितंबर (Udaipur Kiran) । एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक (ईडी) व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को शुक्रवार काे हटा दिया गया है। दो अक्टूबर को उनका कार्यकाल पूरा होना था, लेकिन छह दिन पहले ही एम्स भोपाल के प्रो. अजय सिंह को एम्स गोरखपुर की भी जिम्मेदारी दे दी गई। `प्रो.अजय सिंह को कार्यवाहक ईडी बनाया` गया है। उनका `कार्यकाल तीन महीने निर्धारित` किया गया है।
गाैरतलब है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नान क्रीमीलेयर (एनसीएल) प्रमाणपत्र के आधार पर एम्स गोरखपुर के माइक्रोबायोलाजी विभाग में एमडी सीट पर बेटे को प्रवेश दिलाने के मामले में प्रो. गोपाल कृष्ण पाल घिरे हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर मामले की जांच भी शुरू करा दी है। जल्द ही टीम गोरखपुर आने वाली है। इस बीच प्रो. पाल को हटा दिया गया। इस कार्रवाई को बेटे के प्रवेश से जोड़ा जा रहा है।
पिछले 02 अक्टूबर, 2023 को एम्स पटना के ईडी व सीईओ प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को एम्स गोरखपुर का चार्ज दिया गया था। उन्हें प्रो. सुरेखा किशोर की जगह भेजा गया था। बेटों को नियुक्ति देने और भ्रष्टाचार के मामलों में विजिलेंस जांच का सामना कर रहीं प्रो. सुरेखा किशोर को अचानक हटाया गया था। नए ईडी के लिए दिल्ली में साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी होने के बाद माना जा रहा था कि प्रो. गोपाल कृष्ण पाल का कार्यकाल एक महीने बढ़ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
बेटे के चक्कर में जाने वाले दूसरे ईडी हैं प्रो. पाल
बेटे के चक्कर में पद से हाथ धोने वाले प्राे. गोपाल कृष्ण पाल एम्स गोरखपुर के दूसरे ईडी हैं। हालांकि प्रो. सुरेखा किशोर को वापस एम्स ऋषिकेश भेजा दिया गया था, लेकिन प्रो. पाल एम्स पटना के ईडी बने रहेंगे।
सर्जरी विभागाध्यक्ष ने छेड़ी थी जंग
फिजियोलाजी की एडिशनल प्रोफेसर डा. संगीता गुप्ता की प्रोफेसर पद पर पदोन्नति न होने के बाद एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभागाध्यक्ष व एडिशनल प्रोफेसर डा. गौरव गुप्ता ने प्रो. गोपाल कृष्ण पाल के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। उन्होंने 25 जुलाई को हुई साक्षात्कार प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए थे। यद्यपि, सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल और बाद में उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
इस बीच प्रो. पाल के बेटे डा. ओरोप्रकाश पाल का प्रवेश ओबीसी एनसीएल प्रमाणपत्र पर होने का मामला सामने आया तो डा. गुप्ता फिर मुखर हो गए। उन्होंने इसकी शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर भी की थी। डा. ओरोप्रकाश पाल ने 30 अगस्त को प्रवेश लेने के बाद तीन सितंबर को तीन लाख रुपये जुर्माना जमाकर प्रवेश रद करा दिया था।
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय