Haryana

हिसार : एचएयू व न्यूजीलैंड की मैसी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मोरिंगा पर संयुक्त रूप से करेंगे शोध कार्य : प्रो. बीआर कम्बोज

कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज कार्यशाला में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए।

हकृवि में मोरिंगा की जागरूकता बारे 10 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन

हिसार, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘मोरिंगा की क्षमता को पहचानना:विश्व स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता के अवसर’ विषय पर 10 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के जैव रसायन विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने किया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने बुधवार को शुभारंभ अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि यह कार्यशाला मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा ‘स्पार्क’ परियोजना के तहत आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में हकृवि और न्यूजीलैंड की मैसी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मोरिंगा पर संयुक्त रूप से शोध कार्य करेंगे। परियोजना के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन एवं मौसम में हो रहे बदलाव के कारण मोरिंगा के बीज तथा पत्तियों में टैनिंन और एंटीओक्सीडेंट प्रोपर्टीज पर पडऩे वाले प्रभाव पर रिसर्च किया जाएगा। इसी कड़ी में हकृवि में भी मोरिंगा फसल पर विभिन्न प्रकार के शोध कार्य जारी हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए हिमालय रीज़न, उतराखंड व दक्षिणी क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से मौरिंगा के सैंपल भी लिए जाएंगे। मोरिंगा दुनिया के सबसे पौष्टिक फसलों में से एक फसल हैं और इसके अनेकों फायदे हैं। मोरिंगा में कैरोटीन, प्रोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। मोरिंगा के अनेक उपयोगों ने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और किसानों का ध्यान आकर्षित किया है।

अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि मोरिंगा को ‘ड्रमस्टिक’ या सहजन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक उष्णकटिबंधीय पेड़ है व भारत और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में इसकी खेती होती है। इसके पेड़ का हर हिस्सा स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसकी पत्तियां प्रोटीन का एक बड़ा स्त्रोत है और इसमें सभी महत्वपूर्ण एमीनों एसिड भी होते हैं। मोरिंगा की पत्तियां शरीर में ऊर्जा बढ़ाने के साथ-साथ डायबिटीज, इम्यून सिस्टम, हड्डियों और लीवर सहित विभिन्न बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. जयंती टोकस ने बताया कि मोरिंगा पर शोध के लिए विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के दो शोधार्थी मैसी यूनिवर्सिटी का दौरा करेंगे। इसी कड़ी में मोरिंगा को लेकर विश्वविद्यालय में इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. राजेश गेरा ने कार्यशाला में आए हुए सभी प्रतिभागियों एवं अधिकारियों का स्वागत किया जबकि धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. अक्षय भूकर ने पारित किया। इस अवसर पर सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, शिक्षक, गैर शिक्षक, प्रतिभागी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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