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राष्ट्रपति ने पंचायतीराज संस्थाओं की महिला प्रतिनिधियों को ग्रामीणों के आपसी विवादों को सुलझाने की दी सलाह

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सोमवार को महिला पंचायत सदस्यों के साथ

नई दिल्ली, 6 जनवरी (Udaipur Kiran) । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने महिला प्रतिनिधियों को पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में निर्भीकता से अपने दायित्वों का निर्वहन करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि के रूप में उन्हें ग्रामीणों के आपसी विवादों को सुलझाने का अधिकार है।

सोमवार को पंचायती राज संस्थाओं की अनुसूचित जनजाति की महिला प्रतिनिधियों के एक समूह ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। यह समूह जनजातीय मामलों के मंत्रालय और लोकसभा सचिवालय के सहयोग से राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित ‘पंचायत से संसद’ पहल के तहत आज दिल्ली में है। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस अधिकार का समुचित उपयोग करना चाहिए और ग्रामीणों के बीच विवादों को पंचायत स्तर पर ही सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। इससे न केवल लोगों के संसाधनों और समय की बचत होगी बल्कि आपसी सौहार्द भी बढ़ेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं हमारे लोकतंत्र की आधारशिला रही हैं। वे जमीनी स्तर पर शासन और सामुदायिक विकास के लिए एक मंच प्रदान करती हैं। इन संस्थाओं ने महिलाओं के सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि देश भर में लगभग 14 लाख महिलाएं पंचायती राज संस्थाओं और ग्रामीण स्थानीय निकायों में निर्वाचित सदस्य के रूप में काम कर रही हैं, जो कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों का 46 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि इस भागीदारी को और मज़बूत करने के लिए ज़्यादातर राज्यों ने आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत सरकार देश और देश के नागरिकों के समग्र विकास के लिए काम कर रही है। नागरिकों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए पात्र लोगों में जागरूकता बढ़ाएं ताकि वे लाभार्थी बन सकें। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि बच्चों का समय पर टीकाकरण हो, गर्भवती महिलाओं को उचित पोषण मिले और बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में न छोड़ें। उन्होंने कहा कि उन्हें दहेज, घरेलू हिंसा और नशे की लत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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